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Showing posts from November, 2025

नागपुर में तिलक खेड़ी मंदिर का रहस्य

 नागपुर में तिलक खेड़ी मंदिर का रहस्य नागपुर, जिसे 'ऑरेंज सिटी' के नाम से जाना जाता है, न केवल अपने संतरों और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां कई प्राचीन मंदिर भी हैं जो रहस्यों से भरे हुए हैं। "तिलक खेड़ी मंदिर" नाम से सटीक रूप से कोई प्रसिद्ध मंदिर नहीं मिलता, लेकिन यह संभवतः तेलांकहेड़ी (Telankhedi) क्षेत्र के मंदिरों का संदर्भ हो सकता है, जो नागपुर शहर से लगभग 5 किमी दूर स्थित है। यह इलाका प्राचीन शिव मंदिर और हनुमान मंदिर के लिए जाना जाता है, और स्थानीय कथाओं में इनके साथ जुड़े कुछ रहस्यमयी तथ्य हैं। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं। तेलांकहेड़ी शिव मंदिर: प्राचीनता और रहस्य स्थान और इतिहास: तेलांकहेड़ी शिव मंदिर नागपुर के बाहरी इलाके में एक बड़े परिसर में फैला हुआ है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहां मुख्य शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 1.06 मीटर है। मंदिर का निर्माण भोसले राजवंश के समय (18वीं-19वीं शताब्दी) का माना जाता है, लेकिन कुछ पुरातात्विक अवशेष इससे भी पुराने (करीब 300-400 वर्ष) बताते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक भव्य नंदी की...

Maa कोराडी माता मंदिर, नागपुर

Maa कोराडी माता मंदिर, नागपुर माॅं कोराडी माता मंदिर (श्री महालक्ष्मी जगदंबा मंदिर) महाराष्ट्र के नागपुर शहर के निकट एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर माता दुर्गा के जगदंबा रूप को समर्पित है और एक शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। मंदिर की स्वयंभू मूर्ति के चमत्कारिक कथाएं इसे विशेष महत्व प्रदान करती हैं, जहां माता का रूप दिन में तीन बार बदलने की मान्यता है – सुबह एक युवती, दोपहर एक परिपक्व महिला और रात में एक वृद्धा के रूप में। यह मंदिर संतान प्राप्ति, धन-समृद्धि और मोक्ष की कामना करने वाले भक्तों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इतिहास और किंवदंतियां मंदिर का इतिहास लगभग 300-350 वर्ष पुराना माना जाता है, हालांकि इसकी जड़ें महाभारत काल तक जाती हैं। किंवदंती के अनुसार, यह स्थान मूल रूप से 'जाखापुर' के नाम से जाना जाता था। राजा झोलन की पुत्री जाखुमाई ने युद्ध के बाद यहीं विश्राम किया और देवी कात्यायनी के रूप में प्रकट हुईं। एक अन्य कथा में, नागपुर के निवासियों ने एक भयानक राक्षस से मुक्ति के लिए माता जगदंबा की आराधना की, जिन्होंने राक्षस का वध किया। मंदिर का निर्माण ह...

महात्मा ज्योतिबा गोविंदराव फुले (11 अप्रैल 1827 – 28 नवंबर 1890) भारत के महान समाज सुधारक, विचारक, लेखक, दार्शनिक और सच्चे अर्थों में पहले क्रांतिकारी थे। उन्हें महात्मा की उपाधि गांधीजी से बहुत पहले मिल चुकी थी। वे स्त्री-शिक्षा, दलित-शोषितों के उत्थान और ब्राह्मणवादी वर्ण-व्यवस्था के खिलाफ जीवनभर संघर्ष करने वाले पहले व्यक्ति थे

 महात्मा ज्योतिबा गोविंदराव फुले (11 अप्रैल 1827 – 28 नवंबर 1890) भारत के महान समाज सुधारक, विचारक, लेखक, दार्शनिक और सच्चे अर्थों में पहले क्रांतिकारी थे। उन्हें महात्मा की उपाधि गांधीजी से बहुत पहले मिल चुकी थी। वे स्त्री-शिक्षा, दलित-शोषितों के उत्थान और ब्राह्मणवादी वर्ण-व्यवस्था के खिलाफ जीवनभर संघर्ष करने वाले पहले व्यक्ति थे। प्रमुख योगदान और क्रांतिकारी कार्य: स्त्री शिक्षा के जनक 1848 में पुणे में भारत की पहली बालिका पाठशाला खोली (पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ)। उस समय लड़कियों को पढ़ाना तो दूर, छूना भी पाप माना जाता था। ज्योतिबा-सावित्रीबाई पर पत्थर फेंके गए, गोबर फेंका गया, घर से निकाल दिया गया, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। शूद्रों-अतिशूद्रों का पहला मसीहा 1873 में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की – इसका उद्देश्य था ब्राह्मण पुरोहितों के बिना, सत्य पर आधारित विवाह-संस्कार और सामाजिक सुधार। पहली बार शूद्रों-अतिशूद्रों को यह बताया कि वेद-पुराण तुम्हारे नहीं, तुम्हारा शोषण करने के लिए बनाए गए हैं। पहला किसान नेता 1888 में ‘शेतकऱ्यांचा आसुड’ (किसान का कोड़ा) लिखा – जिसमें अंग...

वोकल फ़ॉर लोकल” अभियान को बढ़ावा देता जयपुर की सुनीता का फटफटिया ब्राण्ड

 *“वोकल फ़ॉर लोकल” अभियान को बढ़ावा देता जयपुर की सुनीता का फटफटिया ब्राण्ड!* *श्रीनाथ दीक्षित, वरिष्ठ संवाददाता, दिल्ली* भारत देश विविध कलाओं और हुनरों का देश है! यह वो देश है जहाँ पर हर एक घर के अंदर रहने वाले सदस्यों में ही अलग-अलग कलाओं और हुनरों के महारथी आपको यूँ ही देखने को मिल जाएँगे। और, शायद देश के इन्हीं आम से दिखने वाले कलाकारों और हुनरबाज़ों की अद्भुत कलाओं और हुनरों को ना केवल देश में ही; बल्कि, पूरे विश्व-भर में एक अलग पहचान दिलाने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा “वोकल फ़ॉर लोकल” जैसे अभियानों का शुभारंभ किया गया है। तो, ऐसे में भारत सरकार के इसी अभियान को धरातल पर साकार करतीं नज़र आ रहीं हैं जयपुर की रहने वालीं सुनीता; जो कि पेशे से डिज़ाइनर हैं! और, इनका जो ब्राण्ड है; वो भी हम सभी के रोज़मर्रा के जीवन के एक बेहद ही महत्वपूर्ण पहलू को छूता हुआ नज़र आता है। जी! हाँ! यूँ तो, अमूमन अपनी आम ज़िंदगी में चाहे वो बच्चे हो, जवान हों या चाहे फिर वो बूढ़े ही क्यों ना हों! सभी ने कभी अपने जीवन में वो एक बेहद ख़ूबसूरत-से रंगों से सजे हुए उस फ...

मुंबई का काला दिन: 26/11 आतंकी हमला

 मुंबई का काला दिन: 26/11 आतंकी हमला  आज 26 नवंबर 2025 को, हम 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की 17वीं बरसी मना रहे हैं। यह भारत के इतिहास का वह काला अध्याय है, जब पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई को चार दिनों तक दहला दिया। इस हमले में 166 निर्दोष लोग शहीद हुए, जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी शामिल थे, और 300 से अधिक घायल हुए। यह हमला न केवल मुंबई की आर्थिक राजधानी को लहूलुहान कर गया, बल्कि पूरे देश को सदमे में डाल दिया। हमले का संक्षिप्त समयरेखा 23 नवंबर 2008: आतंकी कराची से समुद्री रास्ते से एक भारतीय नाव हाईजैक करके मुंबई पहुंचे। उन्होंने नाव पर सवार चार भारतीयों की हत्या कर दी। 26 नवंबर की रात: रात करीब 8:30 बजे हमला शुरू हुआ। आतंकी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी), ताज होटल, ओबरॉय ट्रिडेंट होटल, नरीमन हाउस (छाबड़ हाउस), लेपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, मेट्रो सिनेमा और गेटवे ऑफ इंडिया जैसे प्रमुख स्थानों पर पहुंचे। उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी, ग्रेनेड हमले और बंधक बनाने की घटनाएं कीं। सीएसटी पर दो आतंकियों ने 58 लोगों की हत्या की। ताज होटल में 31 लोग मारे गए, जहां ...

26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकृत (adopted) किया था।

26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकृत (adopted) किया था। यह वह ऐतिहासिक दिन था जब संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान पर हस्ताक्षर किए गए और इसे स्वीकृत घोषित किया गया। उस दिन संविधान पूरी तरह तैयार हो चुका था और इसे अपनाया गया। हालाँकि संविधान लागू (enforced/commenced) 26 जनवरी 1950 को हुआ था, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। इसलिए संक्षेप में: 26 नवंबर 1949: भारतीय संविधान अंगीकृत/अपनाया गया 26 जनवरी 1950: भारतीय संविधान लागू हुआ इसी कारण हर साल 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस (Constitution Day या सम्विधान दिवस) के रूप में मनाया जाता है (यह परंपरा 2015 से आधिकारिक रूप से शुरू हुई थी)। 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था। यह दिन भारतीय संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान सभा और संविधान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें - *संविधान सभा का गठन*: 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन किया गया था। - *संविधान का मसौदा*: संविधान का मसौदा तैयार करने...

सशस्त्र सेना ध्वज दिन आइए, देश के सम्मान की रक्षा करने वालों का सम्मान करें!

*सशस्त्र सेना ध्वज दिन* *आइए, देश के सम्मान की रक्षा करने वालों का सम्मान करें!* 1949 से, 7 दिसंबर को पूरे देश में आर्म्ड फोर्सेज़ फ्लैग डे के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन उन शहीदों और वर्दी पहने सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा के लिए हमारी सीमाओं पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी और लड़ रहे हैं। सैनिक किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति में से एक होते हैं। वे देश के रक्षक होते हैं और किसी भी हालात में नागरिकों की रक्षा करते हैं। अपनी ड्यूटी निभाने के लिए, सैनिकों ने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ कुर्बान किया है। देश हमेशा इन बहादुर हीरो का कर्जदार रहेगा जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में अपनी जान कुर्बान कर दी। यह हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल उन शहीदों और जीवित हीरो का सम्मान करें जो ड्यूटी के दौरान घायल हो गए, बल्कि उनके परिवारों का भी सम्मान करें जो इस बलिदान का एक अहम हिस्सा हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारी उपायों के अलावा, हमारे देश के हर नागरिक का सामूहिक कर्तव्य है कि वह देखभाल, मदद, पुनर्वास और आर्थिक मदद देने के लिए अपना निस्वार्थ और अपनी मर्...

सावधान....! पेड न्यूज़ की भारतीय लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है.

 *सावधान....! पेड न्यूज़ की भारतीय लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है...!* *तारीख:- 19.11.2025* लोकल गवर्नमेंट जनरल इलेक्शन 2025 की लड़ाई शुरू हो गई है। इसी बैकग्राउंड में, इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया ने लोकल गवर्नमेंट नगर परिषद पंचायत एरिया में “मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट” लागू कर दिया है। एडमिनिस्ट्रेशन ने हर वोटर से बार-बार अपील की है कि वे सही, कुशल और लोगों को ध्यान में रखकर काम करने वाले लोगों के प्रतिनिधि को चुनने के लिए वोट करें। क्योंकि वोट देना एक राष्ट्रीय कर्तव्य है, इसलिए वोटरों को किसी भी लालच में नहीं आना चाहिए। साथ ही, वोटरों को बिना किसी डर या डर के अपने विवेक से वोट देना चाहिए। खास बात यह है कि इलेक्शन कमीशन ने सभी पार्टियों और मीडिया से सहयोग करने की अपील की है ताकि चुनाव स्वतंत्र, निडर और शांतिपूर्ण माहौल में हो सकें। पिछले कुछ आम चुनावों का रिव्यू करने के बाद, यह देखा गया है कि देश में कुछ जगहों पर पेड न्यूज़ की घटनाएं हुई हैं। असल में, ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए घातक हैं। इसी तरह, “पेड न्यूज़” भी आज़ाद और खोजी पत्रकारिता में रुकावट है। इसलिए, अखबारों और उनके नुमाइंदों को “पेड...

भिवंडी निजामपूर शहर महानगरपालिका, भिवंडी दिनांक : 15.11.2025 भिवंडी शहरातील नागरिकांच्या सकारात्मक सहकार्यामुळे रस्ता रुंदीकरणचे कामाचा शुभारंभ झाला रस्ता रुंदीकरण व शहराचा विकासकामात सहकार्य करणाऱ्या सर्व नागरिकांचे मनपूर्वक धन्यवाद

 भिवंडी निजामपूर शहर महानगरपालिका, भिवंडी          दिनांक : 15.11.2025  *भिवंडी शहरातील नागरिकांच्या सकारात्मक सहकार्यामुळे रस्ता रुंदीकरणचे कामाचा शुभारंभ झाला*  *रस्ता रुंदीकरण व शहराचा विकासकामात सहकार्य करणाऱ्या सर्व नागरिकांचे मनपूर्वक धन्यवाद!!*    अंजुर फाटा ते स्वर्गीय राजीव गांधी चौक रस्ता रुंदीकरणाच्या कामास सकारात्मक प्रतिसाद देत अनेक दुकानदारांनी महानगरपालिकेच्या कारवाईच्या पूर्वसंध्येलाच स्वतः अतिक्रमण हटवत साहित्य काढण्याचे काम केले, याबद्दल संबंधित नागरिकांचे मनःपूर्वक आभार.  भिवंडी शहराच्या विकासासाठी महत्वपूर्ण अशा रस्ता रुंदी करण्याच्या कामास मा प्रशासक तथा आयुक्त श्री अनमोल सागर यांच्या निर्देशानुसार सुरवात झाली.   मा अतिरिक्त आयुक्त श्री विठ्ठल डाके आणि मा उपायुक्त (अनधिकृत बांधकाम) श्री विक्रम दराडे यांचे नियंत्रणाखाली आज अंजूर फाटा ते स्व राजीव गांधी चौक या मार्गावरील रस्ता रुंदीकरण काम प्रभाग समिती क्र. 4 चे सहायक आयुक्त गिरीश घोष्टेकर व प्रभाग समिती क्र. ५ चे सहायक आयुक्त सईद चीवणे यांच्या नियंत्रना...

लाला लाजपत राय (जन्म: २८ जनवरी १८६५ – मृत्यु: १७ नवंबर १९२८) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा, राजनेता और लेखक थे। उन्हें पंजाब केसरी (पंजाब का शेर) के नाम से जाना जाता है। वे लाल-बाल-पाल तिकड़ी (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल) के प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने स्वदेशी आंदोलन और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया।

 लाला लाजपत राय (जन्म: २८ जनवरी १८६५ – मृत्यु: १७ नवंबर १९२८) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा, राजनेता और लेखक थे। उन्हें पंजाब केसरी (पंजाब का शेर) के नाम से जाना जाता है। वे लाल-बाल-पाल तिकड़ी (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल) के प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने स्वदेशी आंदोलन और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया।  प्रमुख योगदान: स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका: उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और १९०७ के सूरत अधिवेशन में गरम दल के नेता के रूप में उभरे। १९१९ के जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ उन्होंने जोरदार विरोध किया। सामाजिक सुधार: आर्य समाज से जुड़े होने के कारण उन्होंने महिला शिक्षा, विधवा विवाह और दलित उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने दयानंद एंग्लो-वैदिक (DAV) स्कूलों की स्थापना में योगदान दिया। आर्थिक योगदान: वे पंजाब नैशनल बैंक (PNB) और लक्ष्मी बीमा कंपनी के संस्थापक थे, जो स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा थे। साहित्य: उनकी प्रमुख रचनाएँ "उनorganized भारतीय साम्राज्य" और "इंग्लैंड की समस्या" हैं, ...

अशोक सिंघल (27 सितंबर 1926 – 17 नवंबर 2015) एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी नेता और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष थे। वे राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख प्रणेता के रूप में प्रसिद्ध हुए, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दशकों तक संघर्ष किया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था और वे मूल रूप से आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त करने वाले थे, लेकिन धार्मिक-सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गए।

 अशोक सिंघल (27 सितंबर 1926 – 17 नवंबर 2015) एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी नेता और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष थे। वे राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख प्रणेता के रूप में प्रसिद्ध हुए, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दशकों तक संघर्ष किया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था और वे मूल रूप से आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त करने वाले थे, लेकिन धार्मिक-सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गए। प्रमुख योगदान: विहिप का नेतृत्व: 1980 से 2015 तक विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, जहां उन्होंने हिंदू एकता, गौ-रक्षा और धार्मिक स्थलों की रक्षा पर जोर दिया। राम मंदिर आंदोलन: 1990 के दशक में इस आंदोलन को नई दिशा दी, जिसका परिणाम 2024 में राम मंदिर के उद्घाटन के रूप में सामने आया। अन्य कार्य: उन्होंने हिंदू समाज को संगठित करने के लिए कई अभियान चलाए, जैसे वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से आदिवासी समुदायों का उत्थान। आज, 17 नवंबर 2025 को उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी...

१७ नवंबर २०२५ को, शिवसेना के संस्थापक और हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे जी की १३वीं पुण्यतिथि है। उनका निधन १७ नवंबर २०१२ को मुंबई में हृदयाघात से हुआ था। बालासाहेब ठाकरे (जन्म: २३ जनवरी १९२६) एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता, कार्टूनिस्ट और वक्ता थे, जिन्होंने १९६६ में शिवसेना की स्थापना की और महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता तथा हिंदुत्व की राजनीति को मजबूत आधार दिया

  १७ नवंबर २०२५ को, शिवसेना के संस्थापक और हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे जी की १३वीं पुण्यतिथि है। उनका निधन १७ नवंबर २०१२ को मुंबई में हृदयाघात से हुआ था।   बालासाहेब ठाकरे (जन्म: २३ जनवरी १९२६) एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता, कार्टूनिस्ट और वक्ता थे, जिन्होंने १९६६ में शिवसेना की स्थापना की और महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता तथा हिंदुत्व की राजनीति को मजबूत आधार दिया। इस अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में श्रद्धांजलि सभा की तैयारियां जोरों पर हैं, जहां बड़ी संख्या में समर्थक और नेता एकत्र हो रहे हैं।   दोनों शिवसेना गुटों (उद्धव बालासाहेब ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट) के नेता, जैसे उद्धव ठाकरे, ने उनके समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कुछ रोचक तथ्य: बालासाहेब ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन लाखों को प्रभावित किया। वे फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट थे और 'सामना' अखबार के संस्थापक। उनकी मृत्यु पर मुंबई में ५ दिनों का राजकीय शोक घोषित हुआ था। बालासाहेब जी के साहस, स्पष्टवादिता और राष्ट्रभक्ति के सिद्धांत आज भी प्रेरणा देते रहेंगे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! 🙏 🙏👇👇👇👇👇...

पारंपरिक नृत्य शैलियों से आई.आई.टी.एफ़. - 2025 में दिखी वृहद् भारतीय संस्कृतियों की मनमोहक छटा!

 पारंपरिक नृत्य शैलियों से आई.आई.टी.एफ़. - 2025 में दिखी वृहद् भारतीय संस्कृतियों की मनमोहक छटा!  श्रीनाथ दीक्षित, वरिष्ठ संवाददाता, दिल्ली देश की राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में शुभारंभ हो चुका है साल के सबसे प्रतीक्षित और प्रतिष्ठित आयोजन - भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला के 44वें संस्करण का!  यह एक सुनहरा अवसर है जहाँ पर ना केवल देश की ही; बल्कि, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं से एक साथ एक ही मंच पर रूबरू हो सकते हैं।  इस भव्य मेले में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं से आए हुए भागीदार जहाँ एक ओर अपने-अपने शहरों, राज्यों और देशों की अनूठी कलाओं को तो, दर्शाते ही हैं; वहीं दूसरी ओर यहाँ पर आने वाले आगंतुकों के मनोरंजन के लिए इस मेले में प्रतिदिन विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का मंचन भी किया जाता है। इसी कड़ी में फ़ॉउंडेशन फ़ॉर कृष्ण कला एंड एजुकेशन सोसायटी, नोएडा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक भव्य एवं आकर्षक फ़ैशन शो और भारतीय शास्त्रीय लोक संगीत से सजी शानदार प्रस्तुति ने उपस्थित सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  कलाकारों द्वारा ...

राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) भारत में हर वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी को समर्पित है। आज, 16 नवंबर 2025 को, यह दिवस विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि डिजिटल युग में भ्रामक सूचनाओं (मिसइनफॉर्मेशन) का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है।

  राष्ट्रीय प्रेस दिवस :   राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) भारत में हर वर्ष 16 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी को समर्पित है। आज, 16 नवंबर 2025 को, यह दिवस विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि डिजिटल युग में भ्रामक सूचनाओं (मिसइनफॉर्मेशन) का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है। इतिहास स्थापना का महत्व: 16 नवंबर 1966 को भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India - PCI) की स्थापना हुई थी। यह परिषद प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए नैतिक मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक स्व-नियामक संस्था के रूप में कार्य करती है। उत्पत्ति: ब्रिटिश काल में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट (1878) जैसे दमनकारी कानूनों के खिलाफ स्वतंत्र प्रेस की लड़ाई से प्रेरित होकर यह दिवस मनाया जाता है। अमृत बाजार पत्रिका जैसे अखबारों ने प्रेस की शक्ति का उदाहरण दिया। महत्व प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। यह दिन पत्रकारों को सच्चाई, पारदर्शिता और जनहित की याद दिलाता है। यह अवसर प्रेस की विश्वसनीयता को मजबूत करने और फेक न्यूज से लड़ने पर जोर देता है। 2...

उत्पन्ना एकादशी 2025: तिथि, महत्व, कथा, पूजा विधि और पारण समय

 उत्पन्ना एकादशी 2025: तिथि, महत्व, कथा, पूजा विधि और पारण समय  उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और देवी एकादशी के प्राकट्य का प्रतीक है। आइए, 2025 में इसके बारे में विस्तार से जानें। तिथि और शुभ मुहूर्त व्रत की तिथि: 15 नवंबर 2025 (शनिवार) को। एकादशी तिथि 15 नवंबर की रात्रि 12:49 बजे से प्रारंभ होकर 16 नवंबर की रात्रि 2:37 बजे तक रहेगी। चूंकि सूर्योदय के समय एकादशी तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए व्रत 15 नवंबर को ही रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त: प्रातःकालीन पूजा के लिए सुबह 5:15 से 7:15 बजे तक का समय शुभ माना जाता है (सामान्य दिशानिर्देश के अनुसार)। पारण समय: व्रत का पारण (उपवास तोड़ना) 16 नवंबर 2025 को दोपहर 1:10 बजे से 3:19 बजे तक किया जा सकता है। इस समय फलाहार या हल्का भोजन ग्रहण करें। महत्व उत्पन्ना एकादशी सभी एकादशियों का जन्मदिन मानी जाती है। इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है, जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति,...

MMRDA ठाणे-भिवंडी को जोड़ने वाला पुल बनाएगा

MMRDA ठाणे-भिवंडी को जोड़ने वाला पुल बनाएगा ठाणे और भिवंडी के बीच सड़क मार्ग से यात्रा अब और तेज़ होने वाली है क्योंकि मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ठाणे के कोलशेत और भिवंडी के कल्हेर को जोड़ने के लिए वसई क्रीक पर छह लेन का पुल बनाने की योजना बना रहा है। 2.2 किलोमीटर लंबे इस पुल की अनुमानित लागत 430 करोड़ रुपये  एमएमआरडीए के एक प्रवक्ता ने बताया कि 2.2 किलोमीटर लंबे इस पुल की अनुमानित लागत 430 करोड़ रुपये है। इससे दोनों उपनगरों के बीच यात्रा का समय लगभग 45 मिनट से घटकर 5-7 मिनट रह जाएगा।एमएमआरडीए ने गुरुवार को इस परियोजना के लिए निविदाएँ जारी कीं और इसके तीन साल में निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर एक स्टेशन  यह भिवंडी, एक औद्योगिक केंद्र, जिसका मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर एक स्टेशन है, के साथ संपर्क बेहतर बनाने के प्रयासों का एक हिस्सा है। अपने पावरलूम और लॉजिस्टिक्स उद्योगों के लिए प्रसिद्ध इस शहर में हाल के दिनों में ठाणे और मुंबई की ओर यातायात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस परियोजना को उपमुख्यमंत्री एकन...

बिरसा मुंडा: आदिवासी नायक और स्वतंत्रता सेनानी

बिरसा मुंडा: आदिवासी नायक और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा (15 नवंबर 1875 - 9 जून 1900) भारत के झारखंड प्रांत के मुंडा आदिवासी समुदाय के एक महान नेता, स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक सुधारक थे। वे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ 'उलगुलान' (क्रांति) नामक विद्रोह के प्रणेता थे, जिसने आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। आज, 15 नवंबर 2025 को उनकी 150वीं जयंती मनाई जा रही है, जो आदिवासी गौरव और प्रतिरोध की भावना को जीवंत करती है। प्रारंभिक जीवन जन्म: 15 नवंबर 1875 को बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान झारखंड) के उलीहातू गांव में मुंडा परिवार में जन्मे। उनके पिता सुगना मुंडा और माता कर्मी हातु (या करमी मुंडा) थीं। बचपन से ही वे बुद्धिमान और जिज्ञासु थे। उन्होंने खरसावां के एक मिशनरी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, जहां ईसाई धर्म का प्रभाव पड़ा, लेकिन बाद में उन्होंने मिशनरियों के धर्मांतरण प्रयासों का विरोध किया। संघर्ष और उलगुलान 1890 के दशक में, बिरसा ने मुंडा और ओरांव आदिवासियों को एकजुट किया। ब्रिटिश सरकार और जमींदारों द्वारा आदिवासी भूमि पर कब्जा, कर वसूली...

बाल दिवस (Children's Day) भारत में हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चे बहुत प्यार से 'चाचा नेहरू' कहते थे। नेहरू जी बच्चों से बेहद प्रेम करते थे और उन्हें राष्ट्र निर्माण का आधार मानते थे

  पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएँ!  आज, १४ नवंबर २०२५ को, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्मदिन है। उनका जन्म १४ नवंबर १८८९ को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। नेहरू जी को 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, और उनकी जयंती को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। नेहरू जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: नेहरू जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी। उन्होंने १९४७ में भारत की आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में १७ वर्षों तक सेवा की। विकास के प्रणेता: उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं, भाखड़ा नांगल बांध जैसी परियोजनाओं और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की नींव रखी, जो भारत को आधुनिक राष्ट्र बनाने में मील का पत्थर साबित हुईं। प्रसिद्ध कृति: उनकी किताब 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' (भारत: एक खोज) भारतीय इतिहास और संस्कृति का अनमोल दस्तावेज है। उद्धरण: "शिक्षा वह दीपक है जो अंधकार को दूर करती है।" – नेहरू...

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day) भारत में हर वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन कानूनी न्याय की पहुंच को सभी नागरिकों तक सुलभ बनाने और गरीब, वंचित वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से समर्पित है। आज, 9 नवंबर 2025 को यह दिवस पूरे देश में उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है।

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day) भारत में हर वर्ष 9 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन कानूनी न्याय की पहुंच को सभी नागरिकों तक सुलभ बनाने और गरीब, वंचित वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से समर्पित है। आज, 9 नवंबर 2025 को यह दिवस पूरे देश में उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। इतिहास और पृष्ठभूमि यह दिवस विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 (Legal Services Authorities Act, 1987) के पारित होने की याद में मनाया जाता है। यह अधिनियम 9 नवंबर 1995 को प्रभावी हुआ, जिसके तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की स्थापना हुई। अधिनियम का मुख्य लक्ष्य: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, महिलाओं, बच्चों, विकलांगों और अन्य हाशिए पर रहने वाले लोगों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना है। महत्व जागरूकता बढ़ाना: नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों, कर्तव्यों और न्यायिक प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करना। समावेशी न्याय: विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना, लंबित मुकदमों को कम करना और एक समान समाज का निर्माण करना। विशेष फोकस: महिला सशक्तिकरण, बाल अधिकार, पर्यावरण ...