अहिल्यादेवी होल्कर की जयंती 31 मई को मनाई जाती है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। 2025 में उनकी 300वीं जयंती (त्रिशताब्दी) विशेष रूप से उत्साह के साथ मनाई जा रही है, जिसमें विभिन्न आयोजन, संगोष्ठियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल
अहिल्यादेवी होल्कर की जयंती 31 मई को मनाई जाती है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। 2025 में उनकी 300वीं जयंती (त्रिशताब्दी) विशेष रूप से उत्साह के साथ मनाई जा रही है, जिसमें विभिन्न आयोजन, संगोष्ठियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
महारानी अहिल्यादेवी होल्कर मालवा साम्राज्य की शासक थीं, जिन्हें उनके सुशासन, सामाजिक न्याय, धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता है।
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर सहित देशभर में मंदिरों, घाटों, कुओं और धर्मशालाओं का निर्माण और जीर्णोद्धार करवाया। उनकी प्रजा उन्हें
"लोकमाता" और "पुण्यश्लोक" कहकर सम्मान देती थी।उनके शासनकाल में, उन्होंने मालवा को समृद्ध बनाया, महेश्वर को राजधानी बनाकर वहाँ वस्त्र उद्योग (महेश्वरी साड़ियाँ) को बढ़ावा दिया, और विधवाओं व कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुधार किए।
वे एक कुशल योद्धा और रणनीतिकार भी थीं, जिन्होंने कई युद्धों में सेना का नेतृत्व किया।
300वीं जयंती समारोह:बीजेपी ने 21 से 31 मई 2025 तक "अहिल्याबाई होल्कर स्मृति अभियान" चलाया, जिसमें महिला संगठनों और स्थानीय निकायों की भागीदारी रही।
उत्तराखंड सरकार ने उनके नाम पर "अहिल्याबाई होल्कर भेड़-बकरी पालन योजना" शुरू की, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करती है।
विभिन्न संगठनों, जैसे विश्व संवाद केंद्र और राष्ट्र सेविका समिति, ने उनके जीवन और कार्यों को प्रचारित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए।
अहिल्यादेवी की जयंती पर लोग उनके योगदान को याद करते हैं और सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण और धर्म के प्रति उनके समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं ?
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