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आज १८ अक्टूबर २०२५ है, जो इस वर्ष धनतेरस का पावन दिन है। धनतेरस दिवाली के पांच दिनों वाले उत्सव की शुरुआत करता है और यह स्वास्थ्य, धन-समृद्धि तथा सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। आइए, विस्तार से जानें।

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केदारनाथ मंदिर - एक अनसुलझा रहस्य

 केदारनाथ मंदिर - एक अनसुलझा रहस्य  केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया, इस बारे में कई कहानियां सुनाई जाती हैं। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। लेकिन हमें उसमें जाना नहीं है। केदारनाथ मंदिर लगभग 8वीं शतक में बनाया गया होगा, ऐसा आज का विज्ञान बताता है। यानी न चाहते हुए भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। केदारनाथ जहां स्थित है, वह क्षेत्र आज 21वीं शतक में भी बेहद प्रतिकूल है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंचा केदारनाथ पर्वत, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंचा करचकुंड, तो तीसरी तरफ 22,700 फीट का भरतकुंड। ऐसे तीन पर्वतों के बीच से बहने वाली 5 नदियां - मंदाकिनी, मधुगंगा, चीरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ पुराणों में लिखी गई हैं। इस क्षेत्र में केवल "मंदाकिनी नदी" का ही राज है। सर्दियों में जबरदस्त बर्फ, तो मानसून में जबरदस्त वेग से बहता पानी। इतनी प्रतिकूल जगह पर एक कृति साकार करनी हो, तो कितना गहरा अध्ययन किया गया होगा। "केदारनाथ मंदिर" जो आज खड़ा है, वहां आज भी हम वाहन से नहीं जा सकते। ऐसी जगह पर इसका निर्माण क्यों किया गया होगा? इसके अलावा 100-200 नहीं ब...

रमा एकादशी २०२५: महत्व, तिथि, पराणा समय, पूजा विधि और व्रत कथा

  रमा एकादशी २०२५: महत्व, तिथि, पराणा समय, पूजा विधि और व्रत कथा रमा एकादशी (जिसे रंभा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी भी कहा जाता है) हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।  यह भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो दीपावली से ठीक चार दिन पहले आता है।  इस व्रत को रखने से भक्तों को सभी प्रकार के पापों, विशेष रूप से ब्रह्महत्या जैसे महापापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत हजारों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी माना जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्रदान करता है। कार्तिक मास को भगवान विष्णु और कृष्ण को समर्पित सबसे पवित्र मास माना जाता है, इसलिए इस एकादशी का विशेष महत्व है। २०२५ में रमा एकादशी की तिथि एकादशी तिथि: १६ अक्टूबर २०२५, सुबह १०:३५ बजे से १७ अक्टूबर २०२५, सुबह ११:१२ बजे तक। व्रत मुख्य रूप से शुक्रवार, १७ अक्टूबर २०२५ को रखा गया। आज (१८ अक्टूबर २०२५) द्वादशी तिथि है, इसलिए व्रत का पराणा आज ही किया जा सकता है। पराणा समय पराणा समय: १८ अक्टूबर २०२५, सुबह ०६:२४ बजे से ०८:४१ बजे तक। द्वादशी तिथि समाप्ति: दोपहर १२:१८ बजे। व्रत...

विश्व डाक दिवस (World Post Day) हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (Universal Postal Union - UPU) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। 1969 में टोक्यो में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस ने इस दिन को आधिकारिक रूप से घोषित किया था, ताकि डाक सेवाओं की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया जा सके

विश्व डाक दिवस ( World Post Day ) हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन ( Universal Postal Union - UPU) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।  1969 में टोक्यो में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस ने इस दिन को आधिकारिक रूप से घोषित किया था, ताकि डाक सेवाओं की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया जा सके। महत्व यह दिवस डाक प्रणाली की दैनिक जीवन, वैश्विक संचार और वाणिज्य में महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।  डाक सेवाओं ने दुनिया भर के देशों को जोड़ने में मदद की है, जिससे पत्राचार, पार्सल और अन्य सेवाएं आसान हो गईं।  आज के डिजिटल युग में भी, डाक सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच और समावेशिता सुनिश्चित करती हैं।🙏🙏🙏 विश्व डाक दिवस का इतिहास विश्व डाक दिवस (World Post Day) हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना की वर्षगांठ को चिह्नित करता है। UPU की स्थापना 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में हुई थी, जिसने अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाओं को मानकीकृत करके वैश्विक संचार क्...

07 अक्टूबर का यह गीता उपदेश अत्यंत प्रेरणादायक है। बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपनी सफलताओं से, बल्कि असफलताओं और हर अनुभव से सीखकर आगे बढ़ता है, क्योंकि जीवन की हर घटना एक गुरु के समान है जो हमें मजबूत बनाती है। यह हमें याद दिलाता है कि अज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु खुद हमारा अतीत है, यदि हम उससे न सीखें।

 07 अक्टूबर का यह गीता उपदेश अत्यंत प्रेरणादायक है। बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपनी सफलताओं से, बल्कि असफलताओं और हर अनुभव से सीखकर आगे बढ़ता है, क्योंकि जीवन की हर घटना एक गुरु के समान है जो हमें मजबूत बनाती है। यह हमें याद दिलाता है कि अज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु खुद हमारा अतीत है, यदि हम उससे न सीखें। श्रीमद् भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जो महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ कर्म, भक्ति, ज्ञान और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, तथा मनुष्य को उसके कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने का संदेश देता है। भगवद्गीता के मुख्य उपदेश निम्नलिखित हैं, जो जीवन को सरल और सफल बनाने में सहायक हैं: फल की इच्छा छोड़कर कर्म करें: श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को फल की चिंता किए बिना निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए। जैसा कर्म, वैसा फल मिलता है, इसलिए अच्छे कर्म पर ध्यान केंद्रित करें। स्वयं का आकलन करें: कोई व्यक्ति खुद को दूसरों से बेहतर नहीं जान सकता। अपने गुणों और कमियों को समझकर व्यक्तित्व का निर्माण करे...

"पैरा-स्पोर्ट्स का नया अध्याय – अटल बिहारी वाजपेयी दिव्यांग खेल प्रशिक्षण केंद्र और PEFI ने ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए"

"पैरा-स्पोर्ट्स का नया अध्याय – अटल बिहारी वाजपेयी दिव्यांग खेल प्रशिक्षण केंद्र और PEFI ने ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए" नई दिल्ली.....भारत में पेरा खेलों की उत्कृष्टता और समावेशी खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित अटल बिहारी वाजपेयी दिव्यांग खेल प्रशिक्षण केंद्र (ABVT-CDS), ग्वालियर और फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PEFI) के बीच नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर हुए। इस ऐतिहासिक अवसर की गरिमा को और बढ़ाया विभाग के सचिव श्री राजेश अग्रवाल (IAS) की उपस्थिति ने। यह समझौता न केवल संस्थागत सहयोग का प्रतीक है, बल्कि भारत में समावेशी खेलों और पेरा-स्पोर्ट्स को वैश्विक स्तर तक ले जाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है। इस एमओयू का मुख्य उद्देश्य ABVT-CDS को देश में पेरा-स्पोर्ट्स का एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में स्थापित करना है। इसके अंतर्गत कोचिंग विशेषज्ञता का विकास, शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को प्रोत्साहन, ख...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक भारतीय दक्षिणपंथी, हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति, मूल्यों और एकता को बढ़ावा देना है। RSS स्वयंसेवकों के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गतिविधियों में सक्रिय है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है।

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी (दशहरा) के दिन की थी। दशहरा, जो हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, आरएसएस के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह संगठन की स्थापना का दिन है। आरएसएस और दशहरा: स्थापना दिवस : आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में दशहरा के दिन हुई थी। इस दिन को संगठन अपने स्वयंसेवकों के बीच उत्साह और एकता के प्रतीक के रूप में मनाता है। शस्त्र पूजा : दशहरा के अवसर पर आरएसएस में "शस्त्र पूजा" की परंपरा है, जिसमें स्वयंसेवक अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं, जो शक्ति और आत्मरक्षा के प्रतीक हैं। यह परंपरा विजयादशमी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ी है, जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी उत्सव : आरएसएस इस दिन को अपने शाखाओं में विशेष आयोजनों के साथ मनाता है। स्वयंसेवक एकत्रित होकर मार्च, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भाषणों के माध्यम से संगठन के उद्देश्यों और हिंदू संस्कृति के प्रचार - प्रसार पर जोर देते हैं। आरएसएस ...