भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988)
भाई, आपने बिलकुल सही और बहुत गहरी पीड़ा वाली बात कही है। भारत में भ्रष्टाचार आज “सिस्टम का ऑक्सीजन” बन चुका है – बिना रिश्वत के काम रुक जाता है, और जो आवाज उठाता है उसे ही फंसा दिया जाता है। यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले 15-20 सालों में यह इतना गहरा और निर्लज्ज हो गया है कि अब लोग इसे “नियति” मानने लगे हैं।
आइए सचमुच के कारण देखते हैं (बिना चीनी लपेटे):
मुख्य कारण क्यों भ्रष्टाचार रुकता नहीं
कोई डरिश्वत लेने वाला और देने वाला दोनों खुश रहते हैं
आम आदमी भी अब कहता है – “मेरा काम जल्दी हो जाए तो 500-1000 क्या बिगड़ गए?” यानी भ्रष्टाचार का “डिमांड” और “सप्लाई” दोनों बढ़ गए हैं।
सजा लगभग न के बराबर
CBI, ACB, Vigilance की 100 में से शायद 2-3 केस में ही सजा होती है। बाकी या तो केस 20-20 साल चलते हैं या गवाह पलट जाते हैं या पैसे से केस खत्म हो जाता है।
प्रूफ का खेल
आजकल रिश्वत “टेबल के नीचे” नहीं, UPI, नकली बिल, रसीद, रिश्तेदार के अकाउंट में, सोना देकर, प्रॉपर्टी के नाम – इतने तरीकों से ली जाती है कि कोई ठोस सबूत नहीं बचता।
राजनीतिक संरक्षण
ज्यादातर बड़े भ्रष्ट अधिकारी या तो किसी मंत्री-विधायक के करीबी होते हैं या खुद नेताओं को “हिस्सा” देते हैं। इसलिए ऊपर से दबाव आता है कि केस दबाओ।
ईमानदार लोग अकेले पड़ जाते हैं
जो IAS, IPS, क्लर्क या आम आदमी शिकायत करता है, उसे ट्रांसफर, झूठे केस, धमकियाँ, यहाँ तक कि जान का खतरा होता है। व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन कानून कागज पर है, हकीकत में शून्य।
फिर भी कुछ उम्मीद बाकी है – ये काम कर सकते हैं (व्यावहारिक सुझाव)
स्टिंग + डिजिटल सबूत
आज मोबाइल से छिपकर वीडियो बना लें। आवाज साफ हो, चेहरा दिखे, रकम का जिक्र हो। ऐसे सैकड़ों स्टिंग यूट्यूब पर पड़े हैं – कई में एक्शन भी हुआ है।
RTI + सोशल मीडिया का दबाव
पहले RTI डालकर लिखित में मना करवाओ (“आपको यह काम करने के लिए रिश्वत माँगी गई है क्या?” – वो लिखित में झूठ बोलेंगे) फिर उस RTI जवाब को स्टिंग के साथ ट्विटर/X पर वायरल करो, बड़े पत्रकारों-अफसरों को टैग करो। जनता का दबाव बना तो एक्शन होता है।
कलेक्टिव एक्शन (सामूहिक कार्रवाई)
अकेला चने भाड़ नहीं फोड़ सकता। अपने इलाके में 50-100 लोग मिलकर एक WhatsApp ग्रुप बनाओ। सब एक ही काम के लिए रिश्वत माँगी जा रही हो तो सब एक साथ शिकायत करो। इतनी शिकायतें एक साथ आएंगी तो दब नहीं पाएंगी।
ऑनलाइन सर्विसेज का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल
जहाँ भी पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, प्रॉपर्टी रजिस्ट्री ऑनलाइन हो रही है – वहाँ रिश्वत बहुत कम हो गई है। इन सेवाओं को और बढ़ाने के लिए दबाव डालो।
व्हिसलब्लोअर को प्रोटेक्शन दो
कुछ राज्य (महाराष्ट्र, पंजाब) में “व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन” की पॉलिसी है – उसका इस्तेमाल करो। केंद्र में भी 2014 का कानून है, पर लागू नहीं हुआ। इसके लिए PIL दाखिल करने की जरूरत है।
छोटी-छोटी शुरुआत
खुद कभी रिश्वत मत दो, भले काम 6 महीने लेट हो जाए। आस-पास के 10 लोगों को भी यही बोलो। अगर 10% लोग भी रिश्वत देना बंद कर दें तो सिस्टम को झुकना पड़ेगा।
अंत में सच यही है –
भ्रष्टाचार तभी रुकेगा जब “रिश्वत लेना” जितना खतरनाक लगने लगे उतना ही “रिश्वत देना” भी। जब तक हम खुद सुविधा के लिए रिश्वत देते रहेंगे, सिस्टम नहीं बदलेगा।
लेकिन हिम्मत मत हारो। सत्यपाल मलिक, संजीव भट्ट, अशोक खेमका जैसे कुछ लोग आज भी लड़ रहे हैं। हमें भी अपने स्तर पर लड़ना होगा – छोटे-छोटे कदमों से।
अगर आपके पास कोई खास केस है जिसमें रिश्वत माँगी गई हो और आप कार्रवाई चाहते हैं – मुझे बताइए, मैं स्टेप-बाय-स्टेप बताऊंगा कि बिना खतरे के कैसे शिकायत करें।
हम अकेले नहीं हैं।🙏🙏🙏
भाई, आपकी पीड़ा बिलकुल सही है और ये सिर्फ़ आपका नहीं, करोड़ों भारतीयों का दर्द है। भ्रष्टाचार आज गाँव के पटवारी से लेकर दिल्ली के बड़े-बड़े दफ़्तरों तक इस कदर फैल चुका है कि ईमानदार आदमी को ही सबूत देने पड़ते हैं कि वो बेगुनाह है।
लेकिन हताश होने की ज़रूरत नहीं है। कुछ रास्ते हैं, मुश्किल ज़रूर हैं, पर नामुमकिन नहीं:
RTI का हथियार
हर सरकारी काम में देरी या रिश्वत माँगने पर RTI डालिए। सवाल इतने तीखे पूछिए कि अधिकारी घबरा जाए। कई बार तो सिर्फ़ RTI का डर ही काम करवा देता है।
डिजिटल इंडिया का फ़ायदा
अब ज़्यादातर काम (जमीन रजिस्ट्री, जाति-आय प्रमाण पत्र, पेंशन, राशन कार्ड) ऑनलाइन हो रहे हैं। बीच के बिचौलियों और अफ़सरों का रोल कम हो रहा है। जितना हो सके ऑनलाइन अप्लाई करिए।
CVC, लोकायुक्त और विजिलेंस
रिश्वत माँगने की ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग करें (कानूनी तौर पर भारत में एक पक्ष की सहमति से रिकॉर्डिंग मान्य है) और सीधे CVC (केंद्र) या राज्य के लोकायुक्त/विजिलेंस में शिकायत करें। कई मामले में तो अधिकारी निलंबित भी हो जाते हैं।
जनता की ताकत
अकेले चुप रहने से कुछ नहीं होगा। सोशल मीडिया पर बेनाम भी नहीं, अपने नाम-पते के साथ मामले को उजागर करिए। आजकल X (ट्विटर), इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर वायरल होने से सरकार को भी एक्शन लेना पड़ता है। अन्ना हजारे आंदोलन से लेकर कई छोटे-छोटे केस इसी से हल हुए हैं।
ईमानदार अफ़सरों और NGOs का साथ
हर विभाग में कुछ ईमानदार अफ़सर होते हैं। उनकी मदद लीजिए। परेशान लोग एकजुट हों तो बहुत कुछ बदल सकता है।
सबसे बड़ी बात – हमें खुद बदलना होगा।
जब तक हम "चलता है" कहकर रिश्वत देते रहेंगे, सिस्टम नहीं बदलेगा। अगली बार जब कोई 500 रुपये माँगे, तो सोचिए – ये 500 रुपये आप अपने बच्चों के भविष्य से चुरा रहे हैं।
थोड़ा समय लगेगा, बहुत संघर्ष करना पड़ेगा, लेकिन हार मानने की बात नहीं है।
आपका सवाल बहुत गंभीर और वास्तविक है। भारत जैसे देश में जहाँ भ्रष्टाचार सिस्टम का हिस्सा बन चुका है, वहाँ ईमानदार व्यक्ति अक्सर अकेला और असुरक्षित महसूस करता है। आपने बिल्कुल सही कहा – भ्रष्टाचार रोकने की कोशिश करने पर भी कई बार उल्टा ईमानदार आदमी ही फंस जाता है, क्योंकि कानून, पुलिस, मीडिया और यहाँ तक कि कुछ NGO भी कई बार भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बन जाते हैं।
फिर भी कुछ व्यावहारिक और सुरक्षित तरीके हैं जिनसे आप भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकते हैं, बिना खुद को ज्यादा खतरे में डाले। नीचे कुछ ठोस कदम और रणनीति दी जा रही है:
भ्रष्टाचार रोकने के सुरक्षित और प्रभावी तरीके (2025 तक के कानूनों के हिसाब से)
RTI (सूचना का अधिकार) का हथियार इस्तेमाल करें
बिना अपना नाम उजागर किए भी RTI डाल सकते हैं (Anonymous RTI अब कुछ राज्यों में संभव है)
सभी दस्तावेज ऑनलाइन मंगवाएं, फोटो खींचकर रखें।
डिजिटल सबूत इकट्ठा करें (सबसे सुरक्षित तरीका)
गुप्त कैमरा, मोबाइल रिकॉर्डिंग (धारा 65B प्रमाणपत्र के साथ)
WhatsApp चैट, UPI ट्रांजेक्शन, ईमेल – ये सब कोर्ट में सबूत माने जाते हैं।
सबूत कभी मूल अधिकारी को न दें, सीधे CVC, CBI या ED को ऑनलाइन भेजें।
सीधे उच्च संस्थाओं में शिकायत करें (पुलिस से बचें)
www.cvc.gov.in (केंद्रीय सतर्कता आयोग) – गुमनाम शिकायत का विकल्प है
www.ed.gov.in (प्रवर्तन निदेशालय) – पैसे के लेन-देन का मामला हो तो
www.cbi.gov.in – ऑनलाइन शिकायत
PMO ग्रिवांस पोर्टल: https://pgportal.gov.in (प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे एक्शन लेता है कई बार)
Whistleblower बनें – कानूनी सुरक्षा मिलती है
Whistle Blowers Protection Act, 2014 के तहत आपको सुरक्षा मिल सकती है
2025 तक कई राज्यों में Whistleblower पुलिस प्रोटेक्शन भी दे रही है
लेकिन नाम गोपनीय रखने की शर्त पर ही शिकायत करें।
सोशल मीडिया + न्यूज़ चैनल का दबाव
Twitter/X, YouTube पर वीडियो डालें (चेहरा छुपाकर भी)
आज तक, ABP, India TV, News18 जैसे चैनलों के WhatsApp नंबर पर वीडियो भेजें
वायरल होते ही प्रशासन खुद एक्शन लेने लगता है (डर से)
सामूहिक लड़ाई – अकेले नहीं लड़ें
10-20 लोग मिलकर शिकायत करें तो अधिकारी डरता है
कोई NGO या ईमानदार पत्रकार साथ हो तो और बेहतर
अगर आप खुद फंसने से डरते हैं तो ये करें:
कभी रिश्वत न दें, लेकिन "नहीं" कहने का तरीका सभ्य रखें
कोई दस्तावेज साइन करने से पहले वीडियो रिकॉर्डिंग चालू रखें
हर बात लिखित में लें (ईमेल/WhatsApp)
किसी भी धमकी मिले तो तुरंत 112 पर कॉल करें और रिकॉर्डिंग भेजें
एक सैंपल हिंदी न्यूज़ (जैसे न्यूज़ चैनल में आती है)
बड़ी खबर: भ्रष्ट अधिकारी को बेनकाब करने का नया और सुरक्षित तरीका आया सामने!
नई दिल्ली: अगर आप भी भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और अधिकारी से रिश्वत मांगी जा रही है, लेकिन डर के मारे चुप हैं तो अब डरने की जरूरत नहीं! अब आप बिना अपना नाम बताए, बिना पुलिस स्टेशन गए, बिना कोर्ट के चक्कर लगाए भ्रष्ट अधिकारी को सजा दिलवा सकते हैं।
दरअसल, एक आम नागरिक ने गुप्त कैमरे से रिश्वत लेते हुए एक तहसीलदार का वीडियो बनाया और बिना अपना चेहरा दिखाए उसने यह वीडियो सीधे केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय के पोर्टल pgportal.gov.in पर भी शिकायत दर्ज की।
नतीजा? सिर्फ 18 दिन के अंदर उस तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया और ED ने उसके बैंक अकाउंट जब्त कर लिए। सबसे बड़ी बात – शिकायत करने वाले व्यक्ति का नाम आज तक गोपनीय है और उसे सरकारी सुरक्षा भी मिल रही है।
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि अब मोबाइल से रिकॉर्डिंग, UPI ट्रांजेक्शन का स्क्रीनशॉट और WhatsApp चैट ही काफी है भ्रष्ट अधिकारी को जेल भेजने के लिए। बस सही जगह शिकायत करनी आनी चाहिए।
तो अगली बार अगर कोई अधिकारी रिश्वत मांगे तो चुप न रहें – कैमरा ऑन कीजिए, रिकॉर्ड कीजिए और सीधे CVC या PMO को भेज दीजिए। भ्रष्टाचार रोकना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुरक्षित हो गया है!
(ऐसी न्यूज़ आप खुद भी अपने इलाके के भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ वायरल कर सकते हैं – बस चेहरा छुपाइए और सही जगह टैग इस्तेमाल कीजिए)
अगर आप किसी खास मामले में मदद चाहते हैं (बिना नाम बताए), तो मुझे पूरा मामला बता सकते हैं – मैं आपको स्टेप-बाय-स्टेप बताऊंगा कि बिना खतरे के कैसे लड़ना है।
आप अकेले नहीं हैं। लड़ना जरूरी है – लेकिन समझदारी से।🙏
भारत में भ्रष्टाचार रोकने के लिए राज्यवार हेल्पलाइन नंबर
भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के लिए भारत के विभिन्न राज्यों में सतर्कता विभाग (Vigilance) या एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध हैं। ये नंबर टोल-फ्री, मोबाइल या व्हाट्सएप के माध्यम से शिकायतें दर्ज करने की सुविधा देते हैं। केंद्रीय स्तर पर CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की शिकायत के लिए वेबसाइट https://cbi.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म भरें या नंबर 011-24362700 पर संपर्क करें। CVC (केंद्रीय सतर्कता आयोग) के लिए टोल-फ्री नंबर 1964 है।
नीचे राज्यवार उपलब्ध जानकारी दी गई है (सभी नंबर आधिकारिक स्रोतों से संकलित; कुछ राज्यों में पूर्ण जानकारी उपलब्ध न होने पर सामान्य राज्य हेल्पलाइन का उल्लेख है। नवीनतम अपडेट के लिए संबंधित राज्य की आधिकारिक वेबसाइट चेक करें)।
हेल्पलाइन नंबर (टोल-फ्री/मोबाइल)
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
व्हाट्सएप नंबर
ईमेल/अन्य जानकारी
अंडमान और निकोबार
1070 (राज्य हेल्पलाइन)
उपलब्ध नहीं
acbportblair@gmail.com
आंध्र प्रदेश
14400 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
vigilance.cmvigil@ap.gov.in
अरुणाचल प्रदेश
1800-345-3599
उपलब्ध नहीं
vigilance-arun@nic.in
असम
1800-345-3767 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
dgpvigilance@gmail.comad0705
बिहार
1800-345-6619 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
vb-bih@nic.in
चंडीगढ़
172-2740154
+91 8360817378
vigilance-chd@nic.in11129a
छत्तीसगढ़
104 (स्वास्थ्य/सामान्य), ACB: 0771-2441141
उपलब्ध नहीं
acb-dg@cg.nic.in
दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव
0260-2220350
उपलब्ध नहीं
acb.dnh@nic.in
दिल्ली
1031 (ACB हेल्पलाइन), 011-23812905
उपलब्ध नहीं
acb@delhi.gov.in11383f
गोवा
0832-2459971
उपलब्ध नहीं
spgoa@cbi.gov.in
गुजरात
1800-233-4444 (टोल-फ्री)
09586800870
cr-acb-ahd@gujarat.gov.in0e742e
हरियाणा
1064 (टोल-फ्री), 1800-180-2022, 0172-2970057
+91 94178-91064
acb@hry.nic.indb607cea5bd7
हिमाचल प्रदेश
0177-2629893
उपलब्ध नहीं
hpvc-hp@nic.in15a3cb
जम्मू और कश्मीर
0194-2479879 (J&K), 0191-2479879 (लद्दाख)
उपलब्ध नहीं
vigilancejk@nic.in
झारखंड
181 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
vb.jharkhand@gov.in
कर्नाटक
080-22201376
उपलब्ध नहीं
acb.kar@nic.in
केरल
8592900900
उपलब्ध नहीं
vigilance@police.kerala.gov.inff021b
लक्षद्वीप
0484-2630301
उपलब्ध नहीं
sp-lks@nic.in
मध्य प्रदेश
0755-2550475
उपलब्ध नहीं
acb-mp@nic.in
महाराष्ट्र
1800-222-021 (टोल-फ्री), 1064
उपलब्ध नहीं
acb@mumbai.gov.in70d7b2596e74
मणिपुर
1800-345-3806
उपलब्ध नहीं
dirvigilance-man@nic.in
मेघालय
1800-345-3570
उपलब्ध नहीं
vigilance-meg@nic.in
मिजोरम
0389-2322131
उपलब्ध नहीं
sp-mz@nic.in
नागालैंड
0370-2270151
उपलब्ध नहीं
svpnagaland@gmail.com
ओडिशा
0674-2561353
उपलब्ध नहीं
odvighq@gmail.com
पुदुचेरी
0413-2206001
उपलब्ध नहीं
igp-vig@nic.in
पंजाब
1100 (सामान्य), 9501200200 (रिकॉर्डिंग के लिए)
9501200200
vb@punjab.gov.in172d2db3e726
राजस्थान
1800-180-6127 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
acb.rajasthan@nic.in
सिक्किम
03592-207484
उपलब्ध नहीं
svpb-skm@nic.in
तमिलनाडु
044-24615989
उपलब्ध नहीं
dvac@nic.in22bfb1
तेलंगाना
040-23454878
उपलब्ध नहीं
acbhyd@telangana.gov.in
त्रिपुरा
0381-2324842
उपलब्ध नहीं
svb-tripura@nic.in
उत्तर प्रदेश
1076 (टोल-फ्री)
उपलब्ध नहीं
vbup@nic.in
उत्तराखंड
1800-180-4147
उपलब्ध नहीं
vbuk@nic.in
पश्चिम बंगाल
1800-345-3999
उपलब्ध नहीं
wbvigilance@gmail.com
महत्वपूर्ण नोट:
टोल-फ्री नंबर: ये मुफ्त हैं और कहीं से भी कॉल किए जा सकते हैं।
व्हाट्सएप: केवल निर्दिष्ट नंबर पर ऑडियो/वीडियो सबूत भेजें; अन्य शिकायतें कॉल पर करें।
केंद्रीय शिकायत: सभी राज्यों के लिए CBI से संपर्क करें यदि मामला केंद्रीय एजेंसी से संबंधित हो।
यदि कोई नंबर काम न करे, तो संबंधित राज्य की सतर्कता विभाग की वेबसाइट (जैसे vigilance.[state].gov.in) पर जाकर अपडेट चेक करें। शिकायत गुमनाम रखने का विकल्प अधिकांश में उपलब्ध है।
ये जानकारी विभिन्न आधिकारिक स्रोतों से संकलित है; वास्तविक उपयोग से पहले सत्यापित करें। भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए आपकी भागीदारी महत्वपूर्ण है!🙏
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988)
यह भारत का प्रमुख भ्रष्टाचार-विरोधी कानून है। इसे 9 सितंबर 1988 को पारित किया गया और यह 1988 के पुराने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की जगह लेता है। बाद में इसमें 2018 में बहुत बड़े संशोधन हुए, जो 26 जुलाई 2018 से लागू हैं।
1. अधिनियम का उद्देश्य
सार्वजनिक सेवकों (सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, जज, सांसद, विधायक आदि) द्वारा भ्रष्टाचार को रोकना और ऐसे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करना।
2. प्रमुख परिभाषाएँ (धारा 2)
सार्वजनिक कर्तव्य (Public Duty): वह कर्तव्य जो कानून द्वारा किसी सार्वजनिक सेवक पर डाला गया हो।
सार्वजनिक सेवक (Public Servant): बहुत व्यापक परिभाषा है। इसमें शामिल हैं:
सभी सरकारी कर्मचारी
न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट
सांसद, विधायक
सरकारी कंपनी/बैंक/निगम के कर्मचारी
विश्वविद्यालय, लोकल अथॉरिटी, सहकारी संस्था के पदाधिकारी
आयोग/ट्रिब्यूनल के सदस्य आदि।
3. मुख्य अपराध एवं सजाएँ (2018 संशोधन के बाद)
सजा (न्यूनतम-ज्यादा से ज्यादा)
धारा
अपराध का विवरण
जुर्माना
7
सार्वजनिक सेवक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ लेना या किसी को दिलवाना (रिश्वत लेना)
3 से 7 वर्ष कारावास
जुर्माना
8
रिश्वत लेने के लिए किसी को उकसाना या मध्यस्थ बनना (किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक सेवक को रिश्वत देना)
7 वर्ष तक कारावास
जुर्माना
9
व्यावसायिक संगठन/कंपनी द्वारा रिश्वत देना (कॉमर्शियल ऑर्गेनाइजेशन का अपराध)
7 वर्ष तक कारावास
जुर्माना
10
यदि कंपनी अपराध करती है तो उसका प्रबंधक/निदेशक भी दोषी (यदि उसकी जानकारी या सहमति से हुआ हो)
3 से 7 वर्ष कारावास
जुर्माना
11
सार्वजनिक सेवक द्वारा रिश्वत माँगना या स्वीकार करने का प्रयास भी अपराध
7 वर्ष तक कारावास
जुर्माना
12
रिश्वत देने वाला व्यक्ति भी दंडनीय (पहले छूट थी, अब नहीं) – यदि वह मजबूरी में देता है तो बचाव उपलब्ध है
7 वर्ष तक कारावास
जुर्माना
13
सार्वजनिक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार (Criminal Misconduct) करना: • अपने पद का उपयोग कर धन-संपत्ति अर्जित करना जो उसकी ज्ञात आय के स्रोतों से अधिक हो• अमानत में खयानत करना
4 से 10 वर्ष कारावास
जुर्माना
17A
जाँच शुरू करने से पहले अनुमति जरूरी (2018 में जोड़ा गया) – केंद्र/राज्य सरकार के कर्मचारी के खिलाफ जाँच शुरू करने से पहले संबंधित सरकार की पूर्व अनुमति जरूरी। (सशस्त्र बलों को छोड़कर)
—
—
4. संपत्ति जब्ती एवं वापसी (धारा 18A – 2018 में जोड़ी गई)
भ्रष्टाचार के मामले में अर्जित संपत्ति को “आरोपी की आय, खर्च और संपत्ति से अधिक” मानकर जब्त किया जा सकता है।
विशेष अदालत “Attachment” और बाद में “Confiscation” का आदेश दे सकती है (आरोपी दोषी पाए जाने पर संपत्ति सरकार की हो जाती है)।
5. अपराध की प्रकृति
सभी अपराध संज्ञेय (Cognizable) हैं → पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है।
गैर-जमानती (Non-bailable) हैं।
विशेष अदालत (Special Judge) द्वारा ही विचारण होता है।
अपराध भारत के बाहर हुआ हो तब भी भारतीय अदालत में मुकदमा चल सकता है (धारा 19)।
6. विशेष अदालत (Special Judge) – धारा 3-6
हर राज्य में विशेष न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं।
मुकदमे को 2 वर्ष में पूरा करना अनिवार्य, जरूरत पड़े तो 4 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है (2018 संशोधन)।
रोजाना सुनवाई होती है (Day-to-day trial)।
7. महत्वपूर्ण संशोधन 2018 के मुख्य बिंदु
रिश्वत देने वाले को भी सजा (पहले सिर्फ लेने वाले को होती थी)।
कंपनियों एवं उनके अधिकारियों को दायित्व।
जाँच शुरू करने से पहले सरकारी अनुमति जरूरी (17A)।
ट्रायल पूरा करने की समय-सीमा।
संपत्ति जब्ती का नया प्रावधान।
रिश्वत की राशि से कोई फर्क नहीं पड़ता – एक रुपया भी रिश्वत माना जाएगा।
8. बचाव के आधार (जो आरोपी ले सकता है)
यदि रिश्वत मजबूरी में या पुलिस ट्रैप में दी गई हो तो धारा 24 के तहत बचाव।
धारा 20: यह मान लिया जाता है कि जो रिश्वत ली गई वह “प्रलोभन के रूप में” ली गई, जब तक आरोपी इसका खंडन न कर दे।
9. दंड की कठोरता
सभी अपराधों में न्यूनतम सजा है → जज मनमाने ढंग से कम नहीं कर सकता।
दोषी पाए जाने पर सरकारी नौकरी से आजीवन अयोग्यता भी हो सकती है।
10. संबंधित अन्य कानून
इस अधिनियम के साथ लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013, CVC, CBI, राज्य ACB आदि संस्थाएँ काम करती हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में PMLA भी साथ लग सकता है।
यह अधिनियम आज भारत में भ्रष्टाचार के सबसे कठोर कानूनों में से एक है और 2018 के संशोधनों के बाद यह और भी प्रभावी हो गया है? 🙏
भारतीय संविधान और वर्तमान कानूनों के तहत भ्रष्टाचार (Corruption) से निपटने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कानून लागू होते हैं (दिसंबर 2025 तक की स्थिति में):
1. मुख्य कानून जो भ्रष्टाचार नियंत्रित करते हैं
कानून का नाम
लागू होने की तारीख
मुख्य प्रावधान
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (Prevention of Corruption Act, 1988)
9 सितंबर 1988
सार्वजनिक सेवकों द्वारा रिश्वतखोरी, सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग, आपराधिक कदाचार आदि को दंडित करता है।
2018 में संशोधन (Prevention of Corruption (Amendment) Act, 2018)
26 जुलाई 2018 से प्रभावी
रिश्वत देने वाले को भी दंडनीय बनाया गया, कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार पर प्रावधान, 7 साल तक की सजा आदि।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की कुछ धाराएँ (पुरानी IPC)
अब समाप्त
2024 से नई संहिताओं ने ले ली है
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS)
1 जुलाई 2024 से लागू
नई IPC की जगह ली
दंड प्रक्रिया संहिता, 2023 (BNSS)
1 जुलाई 2024 से लागू
नई CrPC की जगह ली
लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
16 जनवरी 2014 से
केंद्र में लोकपाल नियुक्त
काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015
1 जुलाई 2015
विदेश में काला धन रखने पर कठोर दंड
2. नई भारतीय न्याय संहिता, 2023 में भ्रष्टाचार से संबंधित धारा
भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह 1 जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता, 2023 लागू हो चुकी है। इसमें भ्रष्टाचार से संबंधित मुख्य धारा यह है:
पुरानी IPC धारा
नई BNS धारा
अपराध
सजा
169 (अवैध रूप से सार्वजनिक संपत्ति खरीदना) आदि
अभी स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार की अलग धारा नहीं है मुख्य रूप से अभी भी PC Act ही लागू है
—
—
लेकिन PC एक्ट की धाराएँ ही मुख्य हैं
धारा 7 से 16 (PC Act 1988) अभी भी पूरी तरह लागू
सार्वजनिक सेवक द्वारा रिश्वत लेना
3 से 7 साल तक कैद + जुर्माना
नया प्रावधान (2018 संशोधन)
PC Act की धारा 8, 9, 10
रिश्वत देना भी अपराध
7 साल तक कैद या जुर्माना या दोनों
महत्वपूर्ण: नई तीनों संहिताओं (BNS, BNSS, BSA) में भ्रष्टाचार के लिए अलग से व्यापक अध्याय नहीं बनाया गया है। भ्रष्टाचार के अधिकांश अपराध अभी भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) के तहत ही चलते हैं।
3. भारतीय संविधान में भ्रष्टाचार से संबंधित प्रावधान
संविधान में भ्रष्टाचार को सीधे दंडित करने वाली कोई धारा नहीं है, लेकिन निम्नलिखित अनुच्छेद अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार रोकने में मदद करते हैं:
अनुच्छेद
संबंध
अनुच्छेद 14
कानून के समक्ष समानता – भ्रष्टाचार से यह उल्लंघन होता है
अनुच्छेद 311
सार्वजनिक सेवकों को बर्खास्त करने की प्रक्रिया (भ्रष्टाचार सिद्ध होने पर बिना जांच के भी हटाया जा सकता है – 2nd प्रोविजो)
अनुच्छेद 309–311
संघ और राज्य लोक सेवा आयोग, सेवाओं की भर्ती और सेवा-शर्तें
सातवीं अनुसूची (सूची I और II)
भ्रष्टाचार से संबंधित कानून केंद्र और राज्य दोनों बना सकते हैं
4. वर्तमान में भ्रष्टाचार के प्रमुख अपराध और सजा (PC Act 1988 + 2018 संशोधन)
धारा (PC Act)
अपराध
सजा
धारा 7
सार्वजनिक सेवक द्वारा रिश्वत लेना
3–7 साल कैद + जुर्माना
धारा 8
रिश्वत देना (2018 से)
7 साल तक कैद या जुर्माना या दोनों
धारा 9
व्यावसायिक संस्था द्वारा रिश्वत
7 साल तक कैद
धारा 13
आपराधिक कदाचार (Criminal Misconduct)
4–10 साल कैद + जुर्माना
धारा 17A (2018 में जोड़ी गई)
जांच के लिए पूर्व अनुमति जरूरी (केंद्र/राज्य सरकार देती है)
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संक्षेप में (2025 की स्थिति)
भ्रष्टाचार का मुख्य कानून अभी भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 संशोधित) है।
नई भारतीय न्याय संहिता 2023 में भ्रष्टाचार के लिए कोई नया व्यापक प्रावधान नहीं जोड़ा गया है; पुराना PC एक्ट ही प्राथमिक है।
रिश्वत लेना और देना दोनों अब दंडनीय हैं।
लोकपाल केंद्र में और कई राज्यों में लोकायुक्त कार्यरत हैं?
जय हिंद।
आप अकेले नहीं हैं۔ लड़ते रहिए। 🙏



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