राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक भारतीय दक्षिणपंथी, हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति, मूल्यों और एकता को बढ़ावा देना है। RSS स्वयंसेवकों के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गतिविधियों में सक्रिय है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत का एक हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी (दशहरा) के दिन की थी। दशहरा, जो हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, आरएसएस के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह संगठन की स्थापना का दिन है।
आरएसएस और दशहरा:
स्थापना दिवस: आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में दशहरा के दिन हुई थी। इस दिन को संगठन अपने स्वयंसेवकों के बीच उत्साह और एकता के प्रतीक के रूप में मनाता है।
शस्त्र पूजा: दशहरा के अवसर पर आरएसएस में "शस्त्र पूजा" की परंपरा है, जिसमें स्वयंसेवक अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं, जो शक्ति और आत्मरक्षा के प्रतीक हैं। यह परंपरा विजयादशमी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ी है, जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।
विजयादशमी उत्सव: आरएसएस इस दिन को अपने शाखाओं में विशेष आयोजनों के साथ मनाता है। स्वयंसेवक एकत्रित होकर मार्च, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भाषणों के माध्यम से संगठन के उद्देश्यों और हिंदू संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हैं।
आरएसएस का उद्देश्य:
आरएसएस का मुख्य लक्ष्य हिंदू समाज को संगठित और सशक्त बनाना है। यह संगठन सामाजिक सेवा, शिक्षा, और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करता है। दशहरा के दिन, यह अपने स्वयंसेवकों को अनुशासन, समर्पण और राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता है।
दशहरा का महत्व:
दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। यह रामायण के अनुसार भगवान राम की रावण पर विजय और मां दुर्गा की महिषासुर पर जीत का प्रतीक है। आरएसएस इस पर्व को अपने मूल्यों जैसे साहस, एकता और धर्म के साथ जोड़ता है।
संक्षेप में, आरएसएस के लिए दशहरा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि संगठन की स्थापना और इसके उद्देश्यों को सुदृढ़ करने का अवसर भी है।🙏
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक भारतीय दक्षिणपंथी, हिंदू राष्ट्रवादी, स्वयंसेवी संगठन है, जिसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू संस्कृति, मूल्यों और एकता को बढ़ावा देना है। RSS स्वयंसेवकों के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गतिविधियों में सक्रिय है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है।
प्रमुख बिंदु:
मिशन: हिंदू समाज को संगठित और सशक्त करना, राष्ट्रीय एकता और चरित्र निर्माण पर जोर।
संरचना: RSS की इकाइयाँ, जिन्हें "शाखाएँ" कहा जाता है, देश भर में नियमित रूप से शारीरिक प्रशिक्षण, बौद्धिक चर्चा और सामाजिक कार्यों के लिए मिलती हैं।
संबद्ध संगठन: RSS से प्रेरित कई संगठन हैं, जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), और सेवा भारती, जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हैं।
वैचारिक आधार: हिंदुत्व, जो हिंदू संस्कृति और मूल्यों को राष्ट्रीय पहचान का आधार मानता है।
गतिविधियाँ: सामाजिक सेवा, आपदा राहत, शिक्षा, और ग्रामीण विकास में योगदान।
विवाद:
RSS को इसके हिंदू राष्ट्रवादी विचारों के कारण प्रशंसा और आलोचना दोनों मिलती हैं। कुछ इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानते हैं, जबकि अन्य इसे सांप्रदायिकता से जोड़कर देखते हैं। संगठन को इतिहास में कई बार प्रतिबंधित भी किया गया, जैसे 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद (हालांकि बाद में जांच में इसे बरी किया गया)।
वर्तमान स्थिति:
RSS का प्रभाव भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापक है। इसका मुख्यालय नागपुर में है, और वर्तमान सरसंघचालक (प्रमुख) मोहन भागवत हैं। संगठन देश-विदेश में अपनी शाखाओं के माध्यम से सक्रिय है।
यदि आप RSS के किसी विशिष्ट पहलू, जैसे इतिहास, गतिविधियाँ, या प्रभाव, के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो कृपया बताएँ!
"RSS" से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी।
यह हिंदू राष्ट्रवाद पर आधारित एक संगठन है, जो हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत करने का उद्देश्य रखता है। वर्तमान में मोहन भागवत इसके सरसंघचालक हैं।
शताब्दी वर्ष समारोह: RSS अपने 100 वर्ष पूरे करने पर 2 अक्टूबर 2025 से 2026 की विजयादशमी तक शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस दौरान संगठन के इतिहास, योगदान और भविष्य की योजनाओं पर फोकस होगा।
सदस्यता और प्रभाव: 2014 तक RSS के लगभग 50-60 लाख सदस्य थे, और इसमें करीब 2500 प्रचारक सक्रिय हैं जो संगठन के सिद्धांतों का प्रसार करते हैं।
ऐतिहासिक तथ्य: RSS में कभी 'सेनापति' की भूमिका भी थी, जो केवल एक व्यक्ति तक सीमित रही। संगठन ने स्वतंत्रता संग्राम में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाई, लेकिन स्वतंत्र भारत में यह हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों का केंद्र बन गया।
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संपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी
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