07 अक्टूबर का यह गीता उपदेश अत्यंत प्रेरणादायक है। बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपनी सफलताओं से, बल्कि असफलताओं और हर अनुभव से सीखकर आगे बढ़ता है, क्योंकि जीवन की हर घटना एक गुरु के समान है जो हमें मजबूत बनाती है। यह हमें याद दिलाता है कि अज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु खुद हमारा अतीत है, यदि हम उससे न सीखें।
07 अक्टूबर का यह गीता उपदेश अत्यंत प्रेरणादायक है। बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपनी सफलताओं से, बल्कि असफलताओं और हर अनुभव से सीखकर आगे बढ़ता है, क्योंकि जीवन की हर घटना एक गुरु के समान है जो हमें मजबूत बनाती है। यह हमें याद दिलाता है कि अज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु खुद हमारा अतीत है, यदि हम उससे न सीखें।
श्रीमद् भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है, जो महाभारत के युद्धक्षेत्र कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ कर्म, भक्ति, ज्ञान और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, तथा मनुष्य को उसके कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने का संदेश देता है।
भगवद्गीता के मुख्य उपदेश निम्नलिखित हैं, जो जीवन को सरल और सफल बनाने में सहायक हैं:
फल की इच्छा छोड़कर कर्म करें: श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को फल की चिंता किए बिना निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए। जैसा कर्म, वैसा फल मिलता है, इसलिए अच्छे कर्म पर ध्यान केंद्रित करें।
स्वयं का आकलन करें: कोई व्यक्ति खुद को दूसरों से बेहतर नहीं जान सकता। अपने गुणों और कमियों को समझकर व्यक्तित्व का निर्माण करें, ताकि हर कार्य में सफलता मिले।
मन पर नियंत्रण रखें: मन ही दुखों का मुख्य कारण है। मन को वश में करने से बेकार की चिंताएँ और इच्छाएँ दूर होती हैं, तथा लक्ष्य आसानी से प्राप्त होता है।
क्रोध पर काबू पाएँ: क्रोध में व्यक्ति नियंत्रण खो देता है और गलत कार्य कर बैठता है। गुस्सा आने पर शांत रहने का प्रयास करें, ताकि खुद का अहित न हो।
किसी कार्य को टालें नहीं: निश्चित समय पर काम पूरा करें। कर्म से भागने से सफलता नहीं मिलती, जबकि सही दिशा में किया गया कर्म हर मुश्किल को आसान बना देता है।
अपनी शक्ति को पहचानें: हर व्यक्ति हर काम में माहिर नहीं हो सकता। उसी कार्य को चुनें जिसमें आपकी योग्यता हो, क्योंकि सफलता उसी में निहित है।
खुद पर नियंत्रण रखें: डरना स्वाभाविक है, लेकिन इसे हावी न होने दें। मस्तिष्क को नियंत्रित रखें, वरना यह शत्रु बन जाता है। सही रहें, तो किसी से भय न लगे।
स्पष्ट नजरिया अपनाएँ: संशय में न रहें, क्योंकि संशयवासियों का भला नहीं होता। जीवन में स्पष्ट लक्ष्य रखें और भटकाव से बचें।
ये उपदेश जीवन की हर समस्या का समाधान देते हैं। गीता का पाठ और अनुसरण करने से व्यक्ति शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। यदि आप किसी विशिष्ट अध्याय या श्लोक पर अधिक जानना चाहें, तो बताएँ।
🙏👇👇👇👇👇👇👇👇👇 🙏
मेरा देश मेरा वतन समाचार
🙏 पत्र के🙏
संपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी
नोट........ 👉🙏
दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आप सभी, यह आर्टिकल को अंत तक पढ़े होंगे एवं यह आर्टिकल आपको बेहद पसंद आया होगा, हैं।और अगर लिखने में कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करें इस के लिए हम आप क्षमा मांगते हैं और हमारे इस आर्टिकल को लाइक करें शेयर करें ? 🙏 जनहित लोकहित के लिए धन्यवाद 🙏
Comments
Post a Comment