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इस रक्षाबँधन मुँह मीठा करें मक्खन लाल की मिठाई के संग!

*इस रक्षाबँधन मुँह मीठा करें मक्खन लाल की मिठाई के संग!*



*इस रक्षाबँधन मुँह मीठा करें मक्खन लाल की मिठाई के संग!*


*श्रीनाथ दीक्षित, वरिष्ठ संवाददाता, दिल्ली*


मीठा चखने वालों को तो चाहिए बस एक मौक़ा, जब वो अपनी पसंद की मिठाई चख सकें! फिर चाहे वो आम नागरिक हों या फिर सेलिब्रिटी ही क्यों ना हों! सभी को चाहिए कुछ ऐसी मिठाई, जो उन्हें स्वाद के चटकारे दिला दे! लेकिन, स्वाद के साथ-साथ अगर सेहतमंद व्यंजन मिल जाए; तो, बात ही कुछ और हो जाती है! 


इसी परंपरा को निभाती आ रही है पुरानी दिल्ली के खारी बावली बाजार में स्थित “मक्खन लाल स्वीट्स” के नाम से प्रसिद्ध यह छोटी-सी दुकान! यहाँ पर मिलने वाला शुद्ध देसी घी से तैयार सुप्रसिद्ध मालपुआ ना केवल आम नागरिकों में ही; बल्कि, सेलेब्स के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। 
फिर चाहे वो बॉलीवुड की जानी-मानी फ़ैशन डिज़ाइनर - वारिजा बजाज हों या फिर विश्व के जाने-माने ब्रिटिश शेफ़ - जैमी ओलिवर हों; सभी मक्खन लाल के स्वादिष्ट मालपुए के दीवाने हैं और किसी-ना-किसी बहाने से यहाँ मिलने वाले हर-दिल अज़ीज़ देसी घी के मालपुए और आटे के लड्डू खाने ज़रूर आ जाते हैं!


वारिजा बताती हैं कि वो अपने व्यस्त समय से कुछ पल निकालकर जब भी चाँदनी चौक घूमने आती हैं; तो, मक्खन लाल के मशहूर देसी घी के मालपुए और बेड़मी पूड़ी ज़रूर चखती हैं! इसके साथ ही दिल्ली के खारी बावली में भारतीय पारम्परिक मसाले लेने आए विश्व के जाने-माने शेफ़ - श्री जैमी ओलिवर ने भी मक्खन लाल के स्वादिष्ट मालपुए की सराहना करते हुए भविष्य में अपनी भारत यात्रा पर इन मालपुओं को चखने का निर्णय लिया!


दुकान के मालिक, श्री सिद्धार्थ खंडेलवाल बताते हैं कि देश के गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आसाम, उत्तर प्रदेश, जैसे विभिन्न राज्यों के जाने-माने मालपुआ जैसे हर दिल अज़ीज़ मिष्ठान की मार्किट में मिठाई के रूप में शुरुआत देश की राजधानी दिल्ली में इसी दुकान से की गई थी। यूँ तो मालपुआ नाम का यह मिष्ठान देश के विभिन्न राज्यों और प्रदेशों में घरों में पारम्परिक मिष्ठान के रूप में सदियों से बनता आ रहा है।

 लेकिन, राजधानी दिल्ली में इस स्वादिष्ट मिष्ठान की एक मिठाई के रूप में शुरुआत करने का गौरव इसी छोटी-सी दुकान के नाम है। इस मिठाई को और ज़्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद बनाने के लिए इसमें काजू, किशमिश, बादाम, पिस्ता, इत्यादि, मिलाए जाते हैं।



श्री सिद्धार्थ के भाई श्री हर्ष खंडेलवाल बताते हैं कि यह दुकान अंग्रेज़ों के ज़माने की है! इस दुकान की नींव उनके परदादा के ज़माने - सन् - 1940 में सबसे पहली बार रखी गई थी। और, फिर धीरे-धीरे इस दुकान को बढ़ाते हुए आज इसी दुकान के ऊपर वाले हिस्से में सिद्धार्थ अपने पिताजी के साथ दुकान का निरीक्षण और प्रबंधन करते हैं।


साथ ही यहां रक्षाबँधन त्योहार के अवसर पर मिलने वाला शुद्ध देसी घी से तैयार घेवर भी अपने सदाबहार स्वाद के कारण मीठा चखने वाले शौक़ीनों के बीच एक अलग ही पहचान बनाए हुए है!


100 प्रतिशत शुद्ध देसी घी और साथ ही काजू, किशमिश, कच्चा गोला, इत्यादि के मिश्रण से तैयार इस मिष्ठान की सावन के महीने में बहुत डिमांड रहती है! यहाँ पर मिलने वाले इस मिष्ठान के दीवाने तो, जैसे अपने-आप ही इस दुकान की ओर खिंचे ही चले आते हैं।


तो, क्यों ना इस रक्षाबँधन त्योहार पर अपने प्यारे-से भाई-बहन का मुँह यहाँ पर मिलने वाले सदाबहार और स्वादिष्ट घेवर से ही मीठा करवाया जाए!

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       मेरा देश मेरा वतन समाचार 

                    🙏 पत्र के🙏


        संपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी

नोट........ 👉


🙏 दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आप सभी, यह आर्टिकल को अंत तक पढ़े होंगे एवं यह आर्टिकल आपको बेहद पसंद आया होगा, अगर लिखने में कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा करें इस के लिए हम आप को हमारे इस आर्टिकल को लाइक शेयर व कमेंट जरूर करेंगे ? 🙏 जनहित लोकहित के लिए धन्यवाद 🙏






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