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भारतीय तेली साहू समाज की स्थापना दिवस के अवसर पर स्नेह सम्मेलन में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नरेंद्र नवल तेली जी

कल्याण शहर.........भारतीय तेली साहू समाज की स्थापना दिवस के अवसर पर स्नेह सम्मेलन में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नरेंद्र नवल तेली जी  


ने लिम्का बुक ऑफ रिकॊर्ड के विजेता "आनंद श्री" की पदवी से सम्मानित प्रोफेसर श्री दिनेश गुप्ता जी को बच्चों के लिए कैरियर गाइडेंस एवं समाज में उत्साह के संचार के लिए आमंत्रित किया और मंच का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री श्री शिवलाल साहू जी द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि श्री राममूरत गुप्ता जी (बाबा सेठ), श्री लालजी गुप्ता जी (फिल्म निर्माता), संत श्री उमेश कृष्णदास जी (समाज संत), विशिष्ठ अतिथि श्री सतीश गाँधी जी,  श्री रोशनलाल गुप्ता जी, श्री मोहन गुप्ता जी, श्री रतिलाल गुप्ता जी, श्री रामबचन गुप्ता जी, श्री दिनेश गुप्ता जी, श्री दुर्गाप्रसाद गुप्ता जी, श्री जयनारायण गुप्ता जी आदि ने शिक्षा एवं संस्कार पर अपने विचार प्रकट किए। संस्था के प्रेरणास्रोत एवं मार्गदर्शक श्री लल्लन प्रसाद गुप्ता जी, श्री भैैय्यालाल गुपता जी, श्री ओमप्रकाश गुप्ता जी, श्री लालताप्रसाद गुप्ता जी की उपस्थिति में स्नेह सम्मेलन में 500 से अधिक समाजसेवको ने भाग लिया। सम्मेलन में शामिल हुए समाज को के प्रत्येक सदस्य उत्साह दिखा एवं बिशेषकर अंतिम पंक्ति में उपस्थित सदस्य को भी सम्मानित किया गया। स्थापना दिवस के अवसर पर श्री प्रदीप संतराम गुप्ता जी को संस्था के महाराष्ट्र मिडिया प्रभारी के सम्मानित पद पर नियुक्त किया गया एवं श्री मनोज दशरथ गुप्ता जी को ठाणे जिला उपाध्यक्ष के सम्मानित पद पर पदोन्नत किया गया।


कल्याण के KDMC आर्ट गैलरी हाल में देश के कई राज्य से मुम्बई और ठाणे जिल्हे से सैकड़ो तेली साहू समाज, स्नहे सम्मलेन में पहुचे 

संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र नवल तेली, महामंत्री शिवलाल शाहू, रामपाल गुप्ता, महेश गुप्ता मनोज दशरथ गुप्ता, संजीव गुप्ता, निरज गुप्ता, अनिल गुप्ता, दीपक साहू, राजेश गुप्ता, श्रीमती सुशीला गुप्ता, श्रीमती सुमन साहू, श्रीमती मीना गुप्ता, बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष अंकुश साहू की उपस्थिति रही।

युवा पीढ़ी ने तमाम लोगो को पुष्प गुच्छ देकर सभी का स्वागत किया गया ,

समाज के वरिष्ट वक्ताओं ने युवाओ के इस जोश को हौशला देते हुए कहा हम समाज के लिए तन मन और धन से उनके साथ है ,देश के किसी भी कोने में समाज के लिए कुछ करना हो तो आधीरात को भी आगे आना चाहिए 


तेली साहू समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए वृंदावन से संत श्री उमेश कृष्णदास जिन्होंने कई डिग्री हासिल कर लिए हैं मूलरूप से छत्तीसगढ़ राज्य के है लेकीन उन्होने संन्यास लेकर वृंदावन में ही रहते हैं, तेली समाज और माँ कर्मा देवी के बारे में कुछ जानकारी देते हुए बताया आज तेली समाज के युवा पीढ़ी उत्तर भारत से ज्यादातर लोग मुम्बई में रहते है ,मुम्बई का कल्चर में सभी एक दूसरे के भक्ति में शक्ति का परचिय देते हुए भक्त पहलाद की तरह माँ कर्मा देवी की कहानी भी कुछ ऐसी है माँ ने अपने भक्ति से खूंखार राजा को झुका दिया तो शबरी के बैर की राम जिस तरह खाये थे ठीक उसी तरह माँ कर्मा की खिचड़ी भगवान कृष्ण ने खाये ,थोड़े में माँ कर्मा की जानकारी दे रहा हूं , हजार वर्ष पूर्व, उत्तर भारत के झांसी में एक तेल ब्यापारी के घर माँ कर्मा का जन्म हुआ ,भक्ति में लीन रहने वाली माँ कर्मा बड़ी हुई उनका विवाह ग्राम नरवर में हुवा वह अपने परिवार के साथ रहने लगी ,उस गॉँव का राजा के हाथी को खुजली की बीमारी हो गई किसी ने राजा से कह दिया अगर एक कुंड [छोटा तलाव ] में तेल से भरकर हाथी को स्नान कराया जाये तो खुजली दूर होगी ,राजा ने गांव में ऐलान करा दिया इस कुंड को तेल से भरो वरना किसी को गाँव में रहने नहीं दिया जायेगा ,मगर महीना बीतने को आया मगर कुंड तेल से नहीं भर पाया लोगो पर राजा का अत्याचार बढ़ने लगा तभी माँ कर्मा ने अपने भक्ति से भगवान कृष्ण को याद किया और रातो रात कुंड भर गया ,राजा ने माँ कर्मा के आगे झुककर क्षमा मांगी ,गॉंव के लोग सही सलामत रह गये, एक दिन माँ कर्मा भक्ति में डूबी घर से निकल पड़ी वह चलते चलते जगरनाथ पहुच गई भूखी प्यासी तन पर फटे कपड़े के साथ एक मंदिर के पास पहुची वहाँ माँ ने बड़े श्रद्धा से भगवान को खिलाने के लिए खिचड़ी बनाई ,माँ कर्मा जब मंदिर में भगवान् को भोग लगाने गई तो पुजारियो ने उन्हें भगा दिया ,मगर माँ भगवान को भोग के लिए विनती करने लगी ,पुजारी जब भगवान को भोग लगाने मंदिर में गए तो भगवान मंदिर में नहीं थे सभी पुजारी को लगा वह औरत भगवान की मूर्ति लेकर गई होगी उसे ढूंढो ,समंदर के किनारे जब पुजारी पहुचे तो उनके होश उड़ गए ,उन्होंने देखा भगवान् खुद बालक के रूप माँ कर्मा के हाथो से खिचड़ी बड़े प्यार से खा रहे थे ,उस दिन से एक कहावत बनी जो आज भी प्रचलन में है वह है *जगन्नाथ का भात, जगत पसारे हाथ* 

इतना बताने का अर्थ यह है हर जाति में एक पूर्वज ऐसे जरूर होंगे जिन्होंने अपनों के लिए बहुत कष्ट सहे होंगे जरुरत है तो उस इतिहास को पीढ़ी दर पीढ़ी बताने की। ? 

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           देश मेरा वतन समाचार पत्र 

         संपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी 


 नोट............... भारतीय तेली साहू समाज की स्थापना दिवस के अवसर पर स्नेह सम्मेलन में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नरेंद्र नवल तेली जी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं , समाज के लिए बहुत गर्व की बात है , समाज के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आना चाहिए समाज के बहुत अच्छे काम के लिए मेरा देश मेरा वतन समाचार संपादक श्री दयाशंकर गुप्ता जी की तरफ से धन्यवाद लिखने में कोई छोटी हो तो क्षमा करें 🙏

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