कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस पर्व की पावन कथा के बारे में।

  Chhath Puja Vrat Katha 2023: छठ पूजा की ये पावन कथा दूर करेगी आपकी हर व्यथा🙏🌞🙏


🌺कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस पर्व की पावन कथा के बारे में।

 लोक आस्था का महापर्व मानी जाने वाली छठ पूजा आज 18 नवंबर, शुक्रवार को शुरू हो गया है। छठ का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि छठ की पूजा तब तक पूर्ण नहीं होती है जब तक इस पावन पर्व की कथा न सुनी जाए। ऐसे में चलिए विस्तार से जानते हैं छठ पूजा की पौराणिक व्रत कथा के बारे में।

🌛प्रियंवद और मालिनी की कहानी🌜

पुराणों के अनुसार, राजा प्रियंवद नामक राजा हुआ करते थे जिनकी कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए राजा के यहां यज्ञ का आयोजन किया। महर्षि ने यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई गई खीर को प्रियंवद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए कहा। खीर के प्रभाव से रजा और रानी को पुत्र तो हुआ किन्तु वह मृत था। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।

उसी समय भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। माता ने राजा को अपने पूजन का आदेश दिया और दूसरों को भी यह पूजन करने के लिए प्रेरित करने को कहा।

राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें शीघ्र ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। जिस दिन राजा ने यह व्रत किया था उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। तभी से छठी मैय्या के पूजे जाने की परंपरा आरंभ हुई।🙏🌞🙏


🌞🙏कर्ण ने की थी शुरुआत🙏🌞

महाभारत काल में कुंती पुत्र कर्ण को दानवीर माना जाता था। कर्ण सिर्फ माता कुंती के ही नहीं अपितु सूर्य देव के भी पुत्र थे। सूर्य देव की कर्ण पर विशेष कृपा थी। कर्ण नियमित रूप से प्रातः काल उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया करते थे। तभी से एक पर्व के रूप में सूर्य अर्घ्य की परंपरा का आरंभ हुआ।🙏🍁🍁🙏

इसके अलावा, कुंती और द्रौपदी के भी व्रत रखने का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि द्रौपदी के छठ पूजा करने के बाद ही पांडवों को उनका हारा हुआ सारा राजपाट वापस मिल गया था।

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श्री राम और माता सीता ने भी रखा था व्रत

रामायण में भी छठ पूजा का वर्णन मिलता है। दरअसल, भगवान राम सूर्यवंशी कुल के राजा थे और उनके आराध्य एवं कुलदेवता सूर्य देव ही थे। इसी कारण से राम राज्य की स्थापना से पूर्व भगवान राम ने माता सीता के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन छठ पर्व मनाते हुए भगवान सूर्य की पूजा विधि विधान से की थी।🙏🌹🌹🙏


🪷मार्कण्डेय पुराण में भी है वर्णन🪷

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि छठी मैय्या प्रकृति की अधिष्ठात्री देवी हैं और इसके साथ ही भगवान सूर्य की बहन भी। छठी मैय्या को संतान सुख, संतान की दीर्घायु और सौभाग्य प्रदान करने वाली माता माना गया है।

जब बच्चे के जन्म के छठे दिन उसका छठी पूजन होता है तब इन्हीं माता का स्मरण किया जाता है। इनकी कृपा से न सिर्फ संतान को हर तरह की सुख सुविधा प्राप्त होती है बल्कि उसके जीवन में आने वाले कष्टों का अपने आप ही निवारण हो जाता है।🌼🙏🌹🌹🙏🌼


🙏छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है। 🙏

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है। यह चार दिनों का त्योहार है 

और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती। इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व और महाव्रत के नाम से संबोधित किया जाता है।

🌟🌟कौन हैं छठी मइया...🌟🌟

मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है।

पष्ठी मां यानी छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है🔥मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्ट‍ि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं।

वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है।

शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है।

पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है।

अस्ताचल सूर्य से आशीष लेने का पर्व है

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🙏  🌺🌺 छठ व्रत कथा🌺🌺🙏

कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं।

नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया। लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।

देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।

राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा।

छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। 🙏🌿🌿☀️☀️🌟🌟🔥🙏


🌸छठ में सूर्य की पूजा क्यों की जाती है🌸

🪻🌷 ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि रोजाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। छठ पर्व में इस क्रिया का महत्व और अधिक बढ़ जाता है और व्यक्ति व उसके परिवार पर भगवान सूर्य की कृपा सदैव बनी रहती है। माना यह भी जाता है कि भगवान सूर्य की आराधना करने से मान सम्मान में वृद्धि होती है।.. . 🙏🪻🌷🙏

🌹🌷🙏छठ पूजा में क्या क्या नहीं खाया जाता है🙏🌹🌷🙏

लहसुन, प्याज, मीट, मछली, अंडा और शराब इत्यादि का सेवन व्रत से कुछ दिन पूर्व से ही बंद कर दें। ध्यान रखें कि जिस घर में छठ पूजा का व्रत किया जाता है, उस घर में और उस परिवार में शुद्धता का बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है। इसलिए व्रती के साथ-साथ उसके परिवार के लोगों को भी केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।.. .. 🙏🔥🔥🙏

🔥 छठ पूजा का नहाना खाना कब है🔥

नहाय- खाय की परंपराइस बार 18 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत होगी. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं... 🙏🔥🙏

🍂छठ पूजा में कितने घंटे का उपवास 🍂

उपवास की अवधि 36 घंटे है और चार दिनों तक चलेगी, और यह 'छठ पूजा' का एक हिस्सा है। उपवास रात भर रखा जाता है और अगले दिन की सुबह तक चलता है। छठ पूजा के दौरान कई व्यंजन, मिठाइयाँ और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।.. 🙏🍂🙏

🌿छठ के व्रत में क्या खाया जाता है 🌿

इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हलषष्ठी देवी की मूर्ति की पूजा करते हैं। इस पूजन की सामग्री में पचहर चांउर (बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल), महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी... 🙏🌿🌿🙏

छठ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। लगभग सभी सभ्यताओं में 'भगवान सूर्य' की पूजा की जाती है, लेकिन बिहार में इसका एक अनोखा रूप है। छठ पूजा ही एकमात्र ऐसा अवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है.... 🙏🌿☀️🌞🌿🙏

🌞छठ पूजा के लिए प्रसाद क्या है🌞

ठेकुआ : कई नामों से जानी जाने वाली यह भारतीय कुकी, जो साबुत गेहूं के आटे, गुड़ या चीनी और घी से बनाई जाती है, सबसे लोकप्रिय छठ प्रसादों में से एक है। सामग्री में थोड़े से बदलाव के साथ, यह प्रसाद आइटम खजुरिया, टिकारी और थोकनी से विभिन्न अवतारों में बदल सकता है.?. 🙏🍁☘️🪷🌸🌹🌷🌼🌸🌺🪻🌷🍂🍃🌿☀️🌟🔥🌤️☀️🌞🌝🌛🌜🌞🌻🙏


               🙏🍁नोट :🍁🙏            

लिखने में अगर कोई गलती  हो तो क्षमा कीजिएगा, धन्यवाद सभी भारतवासियों को शुभकामनाएं और बहुत-बहुत बधाई

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            देश मेरा वतन समाचार पत्र 

         संपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी 

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