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हिन्दी विश्व की भाषा कैसे बने पर संगोष्ठी बैंग्लुरू, अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति ने हिन्दी विश्व की भाषा कैसे बने विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन 29 अगस्त 2022 को बैंग्लुरू के शंगरीला होटल में किया।

 हिन्दी विश्व की भाषा कैसे बने पर संगोष्ठी

बैंग्लुरू, अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति ने हिन्दी विश्व की भाषा कैसे बने विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन 29 अगस्त 2022 को बैंग्लुरू के शंगरीला होटल में किया।


संगोष्ठी में अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति के महासचिव डा- प्रवीन गुप्ता, सचिव डा- आशीष गुप्ता सहित कर्नाटक हिन्दी प्रचार सभा, कर्नाटक महिला हिन्दी प्रचार समिति, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा सहित कई अन्य संगठनों ने हिस्सा लिया। संगोष्ठी में चीन के महामहिम राजदूत श्री सुन विड़ोंग सपत्नि सम्मलित हुए। संगोष्ठी की अध्यक्षता दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के प्रभारी श्री चवाकुल रामकृष्ण राव ने की। डा- प्रवीन गुप्ता ने अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति का संक्षिप्त परिचय दिया। डा- गुप्ता ने बताया- अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति का गठन 2005 में लखनऊ के पूर्व महापौर, प्रकाण्ड हिन्दी विद्वान, स्वतंत्रता सैनानी, एमएलसी डा- दाऊजी गुप्त और डा- श्रीभगवान शर्मा के नेतृत्व में हुआ। संस्था हर वर्ष अमेरिका और कनाडा में हिन्दी सम्मेलनो ंका आयोजन करती है। संस्था ने 8-9-10-11 विश्व हिन्दी सम्मेलनों में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की है। संस्था विदेशों में कार्यरत हिन्दी संगठनों को सहयोग प्रदान करती है। विदेशियों को हिन्दी बोलने-लिखने व प्रचारित प्रसारित करने पर सम्मान प्रदान करती है। मारीशस के प्रधानमंत्री श्री अनिरूद्ध जुगन्नाथ और बहुत से राजदूत भी इस सूची में सम्मलित है। सचिव डा- आशीष गुप्ता ने बताया- आप आजकल र्स्वोत्तर काल पर सुनते होंगे हिन्दी में जानकारी के लिए एक दबाएं इस कार्य के लिए संस्था ने बहुत प्रयास किया अन्यथा पहले अंग्रेजी में जानकारी के लिए एक था अभी सरकार और सुधार कर रही है। संस्था चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी जैसे पाठ्यक्रमों को हिन्दी में प्रारंभ कराने का प्रयास कर रही है। निर्माणाधीन संसद भवन में कक्ष हिन्दी कवियों और स्वतंत्रता सैनानियों के नाम पर हो ऐसा सुझाव सरकार को भेजा था जिसको सरकार द्वारा नोट कर लिया है। डा- एस- कृष्णानन्द ने बताया- संस्था ने अमेरिका में कार्यरत प्रख्यात हृदय विशेषज्ञ डा- फणि भूषण दास की चिकित्सा विज्ञान की 17 हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन में सहयोग किया और उन्हे राष्ट्रपति से सम्मानित कराया। संस्था न्यायालय के फैसले विभागों की टिप्पणी हिन्दी में आए इस पर कार्य कर रही है। संस्थाने एक मांग पत्र भी सरकार को भेजा है कि विश्व हिन्दी सचिवालय की शाखांए खोली जाए। भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद सांस्कृतिक केन्द्रों के साथ-साथ हिन्दी केन्द्रों का भी संचालन करे। 

राज्य सरकार विधान भवनों मे कक्षों के नाम स्वतंत्रता सैनानियो के नाम पर रखें। 

स्वतंत्रता सैनानियो और हिन्दी व अन्य भाषा के साहित्यकारो पर शोध करने वाले शोधार्थियो को विशेष सहयोग प्रदान किया जाए। पुस्तकालयो का नामकरण भी लेखको और साहित्यकारो व स्वतंत्रता सैनानियो के नाम पर होना चाहिए। हिन्दी मे शोध कार्य करने वाले विद्यार्थियों को समुचित छात्रवृति मिलनी चाहिए। भारत सरकार साहित्यकारों के लिए साहित्य श्री, साहित्य भूषण, साहित्य विभूषण और साहित्य रत्न पुरस्कारों को प्रारम्भ करे। नए विश्वविद्यालय, शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना साहित्य सेवियों के नाम परकी जाए। पार्काें का नाम साहित्यकारों के नाम पर परिवर्तित किया जाए। नाराकास में स्थानीय हिन्दी सेवियों को नियुक्त किया जाए।

डा- प्रवीन गुप्ता ने बताया-आगामी हिन्दी दिवस पर भारत सरकार के गृह मंत्रलय का राजभाषा विभाग द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन  का आयोजन सूरत, गुजरात में कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति इसमें अपनी  सक्रिय भूमिका अदा कर रही है। इस संदर्भ में देशं-विदेश के हिन्दी प्रेमियों से लेख आमंत्रित किए जा रहे है। एक विशेषांक प्रकाशित किया जाएगा। सरकार से इस सम्मेलन को हाईब्रिड मोड़ से जोड़कर संपूर्ण विश्व के हिन्दी प्रेमियों को जोड़ने का आग्रह किया है। इसी संदर्भ में यदि आप अपनी पुस्तक-पोस्टर आदि प्रदर्शित करना चाहते हो आप हमें प्रेषित कर सकते है। 

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति कुछ शोध पत्रें का भी प्रकाशन कर रही है जैसे स्वावलंबन वर्ष आदि ऐसे ही शेध लेख आपके भी शोध पत्र,लेख, पुस्तकें हिन्दी विद्वानों से आमंत्रित किए गए है।

फरवरी 2023 में भारत सरकार 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन फिजी में आयोजित करने जा रही है और अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति इसमें अपना विशेष प्रतिनिधिमण्डल भेजने जा रही है। 

संस्था आगामी 14 सितंबर 2022 से ‘हिन्दी विश्व की भाषा कैसे बने’ पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। इस प्रतियोगिता के प्रतिभागियों कोे 10 जनवरी 2023 को विश्व हिन्दी दिवस कार्यक्रम में सम्मान पत्र प्रदान किए जाएंगे।

कर्नाटक हिन्दी प्रचार सभा, कर्नाटक महिला हिन्दी समिति द्वारा कर्नाटक में आ रही समस्याओं से अवगत कराया गया। श्री टी- रविन्द्रन ने सरकार द्वारा उपरोेक्त संस्थाओं द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता ही रद्द कर दी है। जहां दक्षिण भारत में हिन्दी के विरोध को समाप्त करने की मांग की जा रही थी वहीं उसे रोजगार से ही हटा दिया गया तो कैसे बढे़गी हिन्दी। यहां अधिकतर विद्यार्थी हिन्दी को छोड़ रहे है हिन्दी को मुख्य विषय रखा जाए और कम्प्यूटर को वैकल्पिक तभी दक्षिण में बढ़ेगी हिन्दी। देवनागरी को स्थान दिया जाए। 

डा- इस्पाक अली ने कहा हिन्दी एक सभ्यता है, एक संस्कृति है। सरकार नीति बनाए संचार की भाषा देवनागरी हो रोमन न हो। देवनागरी सत्र आयोजित किए जाए। देवनागरी दिवस बनाए जाए। सभी राज्यों की बोलियों को अगर भाषा का दर्जा दिया गया तो यह हिन्दी को समाप्त कर देगा और वह मात्र बोली बनकर रह जाएगी।

इस अवसर पर चीन के महामहिम राजदूत और उनकी पत्नी का सम्मान किया गया। साथ ही श्री चवाकुल रामकृष्ण राव ने अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति को नगद धनराशि श्रीमान चवाकुल नरसिंह मूर्ति राष्ट्रभाषा हिन्दी शांति पुरस्कार व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। संस्था की ओर से भी अन्य विद्वानों को सम्मानित किया गया। ? 

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