दिल्ली / हल्दौर । देश की सुप्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था हिन्दी की गूँज की ओर से आयोजित वर्चुअल पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया। करीब तीन घंटे तक चले इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता देश के वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डाॅ. श्याम सिंह शशि ने की।

 दिल्ली / हल्दौर । देश की सुप्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था हिन्दी की गूँज की ओर से आयोजित वर्चुअल पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया। करीब तीन घंटे तक चले इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की अध्यक्षता देश के वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डाॅ. श्याम सिंह शशि ने की।





हिंदी की गूँज संस्था के संयोजक नरेन्द्र सिंह नीहार की रचनाओं पर आधारित समीक्षात्मक कृति " कविवर नरेन्द्र सिंह नीहार का कोरोना कालीन साहित्य :सन्दर्भ और विमर्श " के लोकार्पण के मौके पर परिचर्चा का आयोजन ऑनलाइन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उक्त पुस्तक की संकलित और सम्पादित कर्ता व सेंट फिलोमिना कालेज मैसूरु में हिन्दी विभाग की प्रोफेसर डाॅ पूर्णिमा उमेश द्वारा सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। नरेन्द्र सिंह नीहार की माता श्रीमती लीलावती के कर कमलों से पुस्तक का लोकार्पण हुआ। प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ. दिविक रमेश ने पुस्तक के विविध पहलुओं को उजागर करते हुए, उक्त पुस्तक को उम्मीदों से भरी हुई और


संघर्षशील जीवन की अभिव्यक्ति बताया। सुप्रसिद्ध और  सुरीले गीतकार डाॅ. विनोद चौहान प्रसून ने नरेन्द्र सिंह नीहार पर आधारित रचना - कविवर प्रियवर नीहार, भाव शिल्प अभिव्यक्ति अनुपम अपार। सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। तरुणा पुण्डीर तरुनिल ने कहानी पक्ष की सटीक व्याख्या प्रस्तुत की। तो डाॅ ममता श्रीवास्तव सरुनाथ ने नीहार की हास्य व्यंग्य कविता और आलेखों की खूब पड़ताल की। डॉ संजय सिंह ने समग्र पुस्तक और नीहार के अवदान को रेखांकित किया। दुबई से साहित्य अर्पण पत्रिका की सम्पादक नेहा शर्मा ने पुस्तक को समय का आइना करार दिया। वेल्लारी कर्नाटक से लता नोवल ने बाल साहित्य विशेष पर अपने विचार प्रस्तुत किये। डॉ पूर्णिमा उमेश ने पुस्तक संकलन के विचार से प्रकाशन तक की यात्रा का विशद वर्णन किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्याम सिंह शशि ने पुस्तक की लेखिका और नरेन्द्र सिंह के साहित्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने लाॅक डाउन को लेखकों और कलाविदों के लिए उपयोगी और वरदान स्वरुप बताया। डॉ शशि ने इस दौरान दो पुस्तकें लिखी हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे भाई खेमेन्द्र सिंह ने पटल पर जुड़े समस्त विद्वानों का स्वागत करते हुए इस पुस्तक को मील का पत्थर बताया।


कार्यक्रम में लता चौहान , रमेश गंगेले, डॉ राजाराम सिंह, कामता प्रसाद, आदि ने भी  पुस्तक के बारे में अपने समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किए। इस मौके पर बीना गर्ग, निर्मला जोशी,  गिरीश चन्द्र जोशी, रामकुमार पांडेय, प्रवीण कुमार, रचना, संदीप राजपूत, शाहिस्ता, समरीन, जनार्दन मिश्रा, लाल देवेंद्र श्रीवास्तव, राकेश जाखेटिया आदि ने अपने संदेश प्रेषित कर कार्यक्रम को और अधिक रोचक और उत्साहपूर्ण बनाया। ?         
              डॉ  पूर्णिमा उमेश जी ( मैैैैैसूर )
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    संंपादक श्री दयाशंकर गुुुप्ता जी


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