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बलि प्रतिपदा: महत्व, कथा और उत्सव बलि प्रतिपदा

  बलि प्रतिपदा: महत्व, कथा और उत्सव  बलि प्रतिपदा, जिसे बालिप्रतिपदा या वली प्रतिपदा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है।  यह दीपावली के तीसरे दिन, यानी दीपावली के अगले दिन आता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 22 अक्टूबर को मनाया गया। इस दिन दैत्यराज बलि की पूजा की जाती है, जो उदारता, त्याग और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं। यह पर्व विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। महत्व बलि प्रतिपदा का मुख्य महत्व राजा बलि के त्याग और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और दान से व्यक्ति अमर हो जाता है। राजा बलि को दैत्य होने के बावजूद पूज्यनीय बनाने का वरदान भगवान विष्णु ने ही दिया था। इस दिन पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण को मजबूत करने के लिए विशेष रस्में निभाई जाती हैं। महाराष्ट्र में यह भाई दूज जैसा उत्सव है, जहां पत्नी अपने पति की आरती उतारती है, मिठाइयां बांटती है और घर...

गोवर्धन पूजा: महत्व, विधि और 2025 की तिथि

 गोवर्धन पूजा: महत्व, विधि और 2025 की तिथि  गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो दीपावली के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की लीला का स्मरण करता है, जब उन्होंने इंद्र देव के प्रकोप से वृंदावनवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। यह पूजा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। 2025 में गोवर्धन पूजा की तिथि वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर (बुधवार) को मनाई गई। यह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को पड़ता है, जो गुजराती नव वर्ष (बलिप्रतिपदा) के साथ भी संयोगित होता है। चूंकि आज 23 अक्टूबर है, यह त्योहार कल ही संपन्न हुआ होगा। यदि आपने पूजा की हो, तो बधाई! अन्यथा, घर पर सरल विधि से इसे आज भी कर सकते हैं।  महत्व   गोवर्धन पूजा का मुख्य संदेश है कि मानव को प्रकृति और पशुओं के प्रति सम्मान रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस दिन गायों की विशेष पूजा की जाती है।  यह त्योहार श्रीकृष्ण की विजय का प्रतीक है, जो अहंकार (इंद्र) पर विनम्रता (गोवर्धन...

Happy Diwali Wishes 2025(दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं): दिवाली, जिसे दीपावली भी कहते हैं, भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे 'प्रकाश का पर्व' भी कहा जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से अन्धकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की जीत, और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है

  दीपावली का महत्व (किस लिए मनाई जाती है?) दीपावली, जिसे दीवाली या दीपोत्सव भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख और प्रकाशमय त्योहार है। यह मुख्य रूप से अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व इस प्रकार है: रामायण से जुड़ा: भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्यापुरी लौटना। रावण पर विजय के बाद प्रजा ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया, जिससे यह त्योहार शुरू हुआ। लक्ष्मी पूजा: धन की देवी माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है, ताकि घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे। अन्य मान्यताएँ: कुछ क्षेत्रों में इसे कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध की खुशी में मनाया जाता है, जबकि जैन धर्म में भगवान महावीर का निर्वाण दिवस माना जाता है। सिख धर्म में भी गुरु हरगोबिंद जी की मुक्ति से जोड़ा जाता है। सार्वभौमिक संदेश: यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाया जाता है, जो एकता, प्रेम और नई शुरुआत का प्रतीक है। दीपावली आमतौर पर कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है (2025 में यह 20 अक्टूबर को पड़ेगी)। दीपावली पर...

आज १८ अक्टूबर २०२५ है, जो इस वर्ष धनतेरस का पावन दिन है। धनतेरस दिवाली के पांच दिनों वाले उत्सव की शुरुआत करता है और यह स्वास्थ्य, धन-समृद्धि तथा सुख-शांति की कामना का प्रतीक है। आइए, विस्तार से जानें।

धनतेरस २०२५: महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा   आज १८ अक्टूबर २०२५ है, जो इस वर्ष धनतेरस का पावन दिन है। धनतेरस दिवाली के पांच दिनों वाले उत्सव की शुरुआत करता है और यह स्वास्थ्य, धन-समृद्धि तथा सुख-शांति की कामना का प्रतीक है।  आइए, विस्तार से जानें। धनतेरस की तिथि (२०२५) मुख्य तिथि: शनिवार, १८ अक्टूबर २०२५। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: १८ अक्टूबर २०२५, दोपहर १२:१८ बजे। त्रयोदशी तिथि समाप्त: १८ अक्टूबर २०२५, दोपहर १:५१ बजे। शुभ मुहूर्त धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व है। स्थिर लग्न में प्रदोष काल के दौरान लक्ष्मी पूजा करना उत्तम माना जाता है, क्योंकि इससे माता लक्ष्मी घर में स्थायी रूप से वास करती हैं।  प्रदोष काल: शाम ५:४८ बजे से रात ८:१९ बजे तक। वृषभ काल: शाम ७:१५ बजे से रात ९:११ बजे तक। धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम ७:१५ बजे से रात ८:१९ बजे तक। महत्व धनतेरस का अर्थ है 'धन का तेरस'।  यह दिन भगवान धन्वंतरि (आयुर्वेद के देवता), कुबेर (धन के स्वामी), यमराज (मृत्यु के देवता) और माता लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) की पूज...

केदारनाथ मंदिर - एक अनसुलझा रहस्य

 केदारनाथ मंदिर - एक अनसुलझा रहस्य  केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया, इस बारे में कई कहानियां सुनाई जाती हैं। पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक। लेकिन हमें उसमें जाना नहीं है। केदारनाथ मंदिर लगभग 8वीं शतक में बनाया गया होगा, ऐसा आज का विज्ञान बताता है। यानी न चाहते हुए भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में है। केदारनाथ जहां स्थित है, वह क्षेत्र आज 21वीं शतक में भी बेहद प्रतिकूल है। एक तरफ 22,000 फीट ऊंचा केदारनाथ पर्वत, दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंचा करचकुंड, तो तीसरी तरफ 22,700 फीट का भरतकुंड। ऐसे तीन पर्वतों के बीच से बहने वाली 5 नदियां - मंदाकिनी, मधुगंगा, चीरगंगा, सरस्वती और स्वरंदरी। इनमें से कुछ पुराणों में लिखी गई हैं। इस क्षेत्र में केवल "मंदाकिनी नदी" का ही राज है। सर्दियों में जबरदस्त बर्फ, तो मानसून में जबरदस्त वेग से बहता पानी। इतनी प्रतिकूल जगह पर एक कृति साकार करनी हो, तो कितना गहरा अध्ययन किया गया होगा। "केदारनाथ मंदिर" जो आज खड़ा है, वहां आज भी हम वाहन से नहीं जा सकते। ऐसी जगह पर इसका निर्माण क्यों किया गया होगा? इसके अलावा 100-200 नहीं ब...

रमा एकादशी २०२५: महत्व, तिथि, पराणा समय, पूजा विधि और व्रत कथा

  रमा एकादशी २०२५: महत्व, तिथि, पराणा समय, पूजा विधि और व्रत कथा रमा एकादशी (जिसे रंभा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी भी कहा जाता है) हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।  यह भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो दीपावली से ठीक चार दिन पहले आता है।  इस व्रत को रखने से भक्तों को सभी प्रकार के पापों, विशेष रूप से ब्रह्महत्या जैसे महापापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत हजारों अश्वमेध यज्ञ के समान फलदायी माना जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्रदान करता है। कार्तिक मास को भगवान विष्णु और कृष्ण को समर्पित सबसे पवित्र मास माना जाता है, इसलिए इस एकादशी का विशेष महत्व है। २०२५ में रमा एकादशी की तिथि एकादशी तिथि: १६ अक्टूबर २०२५, सुबह १०:३५ बजे से १७ अक्टूबर २०२५, सुबह ११:१२ बजे तक। व्रत मुख्य रूप से शुक्रवार, १७ अक्टूबर २०२५ को रखा गया। आज (१८ अक्टूबर २०२५) द्वादशी तिथि है, इसलिए व्रत का पराणा आज ही किया जा सकता है। पराणा समय पराणा समय: १८ अक्टूबर २०२५, सुबह ०६:२४ बजे से ०८:४१ बजे तक। द्वादशी तिथि समाप्ति: दोपहर १२:१८ बजे। व्रत...

विश्व डाक दिवस (World Post Day) हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (Universal Postal Union - UPU) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। 1969 में टोक्यो में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस ने इस दिन को आधिकारिक रूप से घोषित किया था, ताकि डाक सेवाओं की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया जा सके

विश्व डाक दिवस ( World Post Day ) हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन ( Universal Postal Union - UPU) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।  1969 में टोक्यो में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस ने इस दिन को आधिकारिक रूप से घोषित किया था, ताकि डाक सेवाओं की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया जा सके। महत्व यह दिवस डाक प्रणाली की दैनिक जीवन, वैश्विक संचार और वाणिज्य में महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।  डाक सेवाओं ने दुनिया भर के देशों को जोड़ने में मदद की है, जिससे पत्राचार, पार्सल और अन्य सेवाएं आसान हो गईं।  आज के डिजिटल युग में भी, डाक सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच और समावेशिता सुनिश्चित करती हैं।🙏🙏🙏 विश्व डाक दिवस का इतिहास विश्व डाक दिवस (World Post Day) हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना की वर्षगांठ को चिह्नित करता है। UPU की स्थापना 1874 में स्विट्जरलैंड के बर्न में हुई थी, जिसने अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाओं को मानकीकृत करके वैश्विक संचार क्...